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डोनाल्ड ट्रंप ने सर्जियो गोर को भारत में नया अमेरिकी राजदूत नियुक्त किया

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने करीबी सहयोगी सर्जियो गोर को भारत में अगला अमेरिकी राजदूत नियुक्त करने की घोषणा की है। गोर, जो वर्तमान में व्हाइट हाउस के राष्ट्रपति कार्मिक कार्यालय के निदेशक हैं, को इस महत्वपूर्ण भूमिका के लिए चुना गया है। ट्रंप ने गोर की क्षमताओं की प्रशंसा की है, लेकिन उनके पास विदेश नीति का सीमित अनुभव है। जानें इस नियुक्ति के पीछे की कहानी और गोर के राजनीतिक सफर के बारे में।
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डोनाल्ड ट्रंप ने सर्जियो गोर को भारत में नया अमेरिकी राजदूत नियुक्त किया

ट्रंप का नया राजदूत नियुक्त करने का फैसला

US News: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पुराने सहयोगी सर्जियो गोर को भारत में अगला अमेरिकी राजदूत बनाने की घोषणा की है। वर्तमान में गोर व्हाइट हाउस के राष्ट्रपति कार्मिक कार्यालय के निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। भारत और अमेरिका के संबंधों के महत्वपूर्ण समय में, ट्रंप ने अपने करीबी सहयोगी को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है। 38 वर्षीय गोर ट्रंप के विश्वसनीय सहयोगियों में से एक माने जाते हैं और कई वर्षों से उनके साथ जुड़े हुए हैं.


ट्रंप का गोर पर भरोसा

ट्रंप ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि गोर एक अच्छे मित्र हैं और कई वर्षों से उनके साथ हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि सर्जियो गोर को भारत में अमेरिका का अगला राजदूत नियुक्त किया जा रहा है। इसके साथ ही, गोर को दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के लिए विशेष दूत के रूप में भी कार्य करने का अवसर मिलेगा.


गोर की नियुक्ति पर ट्रंप का बयान

ट्रंप ने बताया कि गोर और उनकी टीम ने संघीय विभागों और एजेंसियों में लगभग 4,000 अधिकारियों की नियुक्ति रिकॉर्ड समय में की है। उन्होंने कहा कि अब 95 प्रतिशत से अधिक पद भरे जा चुके हैं। गोर के आलोचकों में टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क भी शामिल हैं, जिन्होंने एक बार गोर को सांप कहा था, क्योंकि उन्होंने नासा के लिए मस्क के चयन को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.


गोर का विदेश नीति में अनुभव

हालांकि, सर्जियो गोर के पास विदेश नीति का व्यापक अनुभव नहीं है। उनका अनुभव मुख्य रूप से ट्रंप के साथ विदेश यात्राओं में शामिल होने और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के उन कर्मचारियों की छंटनी तक सीमित है, जिनके विचारों पर संदेह किया गया था.