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तमिलनाडु में चुनावी प्रक्रिया पर विवाद: डीएमके ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका

तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके ने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने सभी राजनीतिक दलों से एकजुट होकर इस मुद्दे पर आवाज उठाने की अपील की है। बैठक में यह तय किया गया कि यदि यह प्रक्रिया जल्दबाजी में लागू की गई, तो लाखों योग्य मतदाता सूची से बाहर हो सकते हैं। जानें इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से डीएमके की क्या अपेक्षाएं हैं।
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तमिलनाडु में चुनावी प्रक्रिया पर विवाद: डीएमके ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका

डीएमके का सुप्रीम कोर्ट में कदम


तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। पार्टी का कहना है कि यह प्रक्रिया जल्दबाजी में लागू की जा रही है, जिससे राज्य के मतदाताओं के अधिकारों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।


मुख्यमंत्री स्टालिन की बैठक का महत्व

यह याचिका मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एम.के. स्टालिन द्वारा आयोजित सर्वदलीय बैठक के एक दिन बाद दायर की गई है। इस बैठक में यह तय किया गया था कि डीएमके और उसके सहयोगी दल मतदाता सूची संशोधन के दूसरे चरण को चुनौती देने के लिए शीर्ष अदालत का सहारा लेंगे। यह संशोधन केवल तमिलनाडु में ही नहीं, बल्कि 12 अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भी प्रस्तावित है।


स्टालिन का केंद्र और चुनाव आयोग पर आरोप

मुख्यमंत्री स्टालिन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा कि तमिलनाडु के लोगों के मताधिकार को छीनने और लोकतंत्र को कमजोर करने के उद्देश्य से इस SIR प्रक्रिया को जल्दबाजी में लागू किया जा रहा है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से एकजुट होकर इस मुद्दे पर आवाज उठाने की अपील की।


स्टालिन ने यह भी कहा कि मतदाता सूची में संशोधन की प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से किया जाना चाहिए। डीएमके का आरोप है कि चुनाव आयोग ने उनके उस प्रस्ताव को नजरअंदाज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि यह संशोधन 2026 के आम चुनावों के बाद किया जाए।


सर्वदलीय बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय

डीएमके द्वारा आयोजित बैठक में राज्य के कई राजनीतिक दलों ने भाग लिया। सभी दलों ने सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया कि चुनाव आयोग की मौजूदा प्रक्रिया में कई खामियां हैं, जो मतदाता सूची में भ्रम पैदा कर सकती हैं। बैठक में यह भी कहा गया कि यदि यह प्रक्रिया बिना उचित समीक्षा के लागू की गई, तो लाखों योग्य मतदाता सूची से बाहर हो सकते हैं।


सुप्रीम कोर्ट से क्या अपेक्षाएं हैं?

डीएमके ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि वह SIR प्रक्रिया को तुरंत रोक दे और इसे लोकसभा चुनावों के बाद ही फिर से शुरू करे। पार्टी का कहना है कि मतदाता सूची में संशोधन में पारदर्शिता और मतदाताओं के अधिकारों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।