तमिलनाडु में प्रवासी मजदूर पर हमले का वीडियो वायरल: नाबालिगों की गिरफ्तारी से बढ़ी सुरक्षा की बहस
चेन्नई में प्रवासी मजदूर पर हमला
चेन्नई : तमिलनाडु में कानून-व्यवस्था को लेकर फिर से सवाल उठने लगे हैं। हाल ही में चेन्नई के निकट एक प्रवासी श्रमिक के साथ हुई हिंसक घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया, जिसके बाद पुलिस ने चार नाबालिगों को हिरासत में लिया है। यह मामला न केवल अपराध की गंभीरता को उजागर करता है, बल्कि राज्य में सुरक्षा, नशे और युवाओं के बीच बढ़ते अपराध के रुझान पर भी चर्चा को जन्म देता है।
ट्रेन में शुरू हुई हिंसा
जानकारी के अनुसार, यह घटना उस समय हुई जब एक उपनगरीय ट्रेन चेन्नई से तिरुत्तानी की ओर जा रही थी। वायरल वीडियो में चार किशोर एक प्रवासी मजदूर को परेशान करते हुए और उस पर धारदार हथियार से हमला करते हुए दिखाई दे रहे हैं। पीड़ित, जो महाराष्ट्र का निवासी है, काम के सिलसिले में तमिलनाडु में रह रहा था। आरोप है कि हमलावरों ने ट्रेन के अंदर ही उसे धमकाया और पीटा।
सोशल मीडिया पर हमले का वीडियो
इस मामले को और गंभीर बनाते हुए, एक आरोपी ने इस हमले का वीडियो इंस्टाग्राम पर साझा किया। वीडियो में वह धारदार हथियार लहराते हुए नजर आया और बैकग्राउंड में तमिल गाना बज रहा था। एक अन्य वीडियो में आरोपियों को किसी घर के पास पीड़ित पर हमला करते हुए देखा गया। हमले के बाद एक आरोपी ने पीड़ित के पास खड़े होकर 'विक्ट्री' साइन बनाकर लोगों में आक्रोश फैलाया।
पीड़ित की स्थिति और पुलिस की कार्रवाई
हमले में घायल प्रवासी मजदूर को गंभीर चोटें आईं और वह खून से लथपथ मिला। फिलहाल उसका इलाज तिरुवल्लूर सरकारी अस्पताल में चल रहा है। घटना के बाद तमिलनाडु पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए चारों आरोपियों को हिरासत में लिया। सभी आरोपी 17 वर्ष के हैं। इनमें से तीन को चेंगलपट्टू स्थित किशोर सुधार गृह भेजा गया है, जबकि चौथे आरोपी को अदालत ने उसकी पढ़ाई का हवाला देते हुए जमानत पर रिहा कर दिया।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस घटना पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेज हो गई हैं। शिवगंगा से सांसद कार्ति चिदंबरम ने राज्य पुलिस से जनता में सुरक्षा का भरोसा पैदा करने की मांग की। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि अब समय आ गया है कि तमिलनाडु पुलिस अपनी क्षमता साबित करे। उन्होंने पूरे राज्य में 'शो ऑफ फोर्स' अभियान, वाहनों की सघन जांच और हिस्ट्रीशीटरों की नियमित रिपोर्टिंग जैसी सख्त कार्रवाइयों की मांग की।
विपक्ष का सरकार पर हमला
विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की सरकार को घेरा है। AIADMK नेता कोवाई सत्यन ने आरोप लगाया कि राज्य में नशे की समस्या बेकाबू हो चुकी है और इसका असर नाबालिगों पर साफ दिख रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में आरोपियों को नाबालिग मानकर नरमी नहीं बरती जानी चाहिए।
DMK का बचाव
वहीं, सत्तारूढ़ डीएमके ने इसे एक अलग-थलग घटना बताया है। पार्टी नेता टीकेएस इलंगोवन ने कहा कि जैसे ही मामला सामने आया, पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की। उन्होंने दावा किया कि तमिलनाडु में हजारों प्रवासी मजदूर सुरक्षित महसूस करते हैं और इस घटना को पूरे राज्य की तस्वीर के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
कानून-व्यवस्था पर बहस
यह घटना एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती है कि नाबालिगों में बढ़ती हिंसा, सोशल मीडिया के दुरुपयोग और नशे की समस्या से निपटने के लिए कितनी सख्त और प्रभावी नीतियों की जरूरत है। साथ ही, प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा भी राज्य सरकार और पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है।
