Newzfatafatlogo

तमिलनाडु में बकरी ने जन्मा इंसान जैसे चेहरे वाला बच्चा

तमिलनाडु के सेंडमंगलम गांव में एक बकरी ने एक मृत बच्चे को जन्म दिया, जिसका चेहरा इंसान जैसा था। इस असामान्य घटना ने स्थानीय लोगों के बीच उत्सुकता और भय का माहौल बना दिया है। कुछ लोग इसे दैवीय संकेत मानते हैं, जबकि अन्य इसे अपशकुन मानते हैं। वैज्ञानिक विशेषज्ञ इसे जन्मजात विकृतियों का परिणाम मानते हैं। जानें इस घटना के पीछे की कहानी और स्थानीय मान्यताओं के बारे में।
 | 
तमिलनाडु में बकरी ने जन्मा इंसान जैसे चेहरे वाला बच्चा

असामान्य जन्म की घटना

वायरल समाचार: तमिलनाडु के एक गांव में एक बकरी ने एक मृत बच्चे को जन्म दिया, जिसका चेहरा इंसान जैसा था। यह घटना उलुंदुरपेट के निकट सेंडमंगलम गांव में हुई, जहां किसान आनंदन की बकरी ने दो बच्चों को जन्म दिया। रिपोर्ट के अनुसार, एक बच्चा सामान्य था, जबकि दूसरे का चेहरा मानव जैसा था।


दर्शकों की भीड़

इस असामान्य जन्म की खबर तेजी से फैल गई, जिससे उत्सुक दर्शकों की भीड़ उमड़ पड़ी, जिन्होंने मृत बच्चे को विस्मय और भय के साथ देखा। यह घटना भारत में विकृतियों के साथ पैदा हुए जानवरों की घटनाओं की श्रृंखला में नवीनतम है।


बकरी ने इंसान जैसे चेहरे वाले बच्चे को दिया जन्म

सेंडमंगलम गांव में, किसान आनंदन की बकरी ने एक मृत बच्चे को जन्म दिया, जिसका चेहरा इंसान जैसा था। इसे देखने वाले लोग आश्चर्यचकित थे और उनमें भय भी था। इस घटना ने स्थानीय मान्यताओं को विभाजित कर दिया है। कुछ इसे दैवीय संकेत मानते हैं, जबकि अन्य इसे अपशकुन मानते हैं। वैज्ञानिक विशेषज्ञ इसे जन्मजात स्थितियों का परिणाम मानते हैं।


एक बच्चा सामान्य

38 वर्षीय आनंदन अपने घर पर 20 से अधिक बकरियां रखते हैं। हाल ही में उनकी एक बकरी ने दो बच्चों को जन्म दिया। एक बच्चा सामान्य था, जबकि दूसरा असामान्य था और वह मृत पैदा हुआ।


भीड़ का जमावड़ा

इंसानी शक्ल वाले मेमने की जन्म की खबर आस-पास के क्षेत्र में तेजी से फैली। देखते ही देखते आनंदन के घर पर भारी भीड़ जमा हो गई, जो उस मृत मेमने को आश्चर्य और हैरानी से देखने लगी। यह खबर अब इंटरनेट पर ट्रेंड कर रही है।


ऐसे कई मामले

यह पहली बार नहीं है जब इंसानों जैसी शक्ल वाले जानवरों का जन्म हुआ है। कई बार, विभिन्न स्थानों पर, बकरी और गाय जैसे जानवर ऐसी दुर्लभ आकृतियों वाले संतानों को जन्म देते हैं। ग्रामीण इन जन्मों को असाधारण मानते हैं। अक्सर, ऐसे दोषों के साथ पैदा हुए जानवर जीवित नहीं रह पाते। हाल ही में, पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले में एक विकृत बछड़े का जन्म हुआ।


ईश्वर का प्रतीक

यह बछड़ा केवल चार महीने जीवित रहा और स्थानीय लोग इसकी पूजा करते थे। ऐसे विकृत जानवरों को अक्सर ईश्वर का प्रतीक माना जाता है। दूसरी ओर, कुछ ग्रामीण मानते हैं कि यदि बकरियां या गायें अजीब आकृति वाले बच्चों को जन्म देती हैं, तो यह दुर्भाग्य का संकेत होता है।


स्थानीय मान्यताएं

स्थानीय मान्यताएं विभाजित हैं। कुछ ग्रामीण ऐसे जन्मों को दैवीय संकेत मानते हैं, जबकि अन्य इसे अपशकुन मानते हैं। सेंडमंगलम के ग्रामीण इस घटना से भयभीत हैं कि इसका क्या मतलब हो सकता है।


विज्ञान की व्याख्या

चिकित्सा और वैज्ञानिक विशेषज्ञ इस घटना को अलौकिकता से जोड़ने के बजाय इसे साइक्लोपिया नामक दुर्लभ जन्मजात स्थिति का परिणाम मानते हैं, जिसमें भ्रूण का चेहरा सममित रूप से विकसित नहीं होता। एक अन्य संभावित कारण भ्रूणीय अनासार्का है, जिसमें भ्रूण में अत्यधिक द्रव प्रतिधारण के कारण गंभीर सूजन होती है। विशेषज्ञ संकर-प्रजाति प्रजनन की संभावना को खारिज करते हैं।


पारंपरिक व्याख्याएं

इन वैज्ञानिक व्याख्याओं के बावजूद, कई स्थानीय लोग अपनी पारंपरिक और आध्यात्मिक व्याख्याओं से जुड़े हुए हैं।