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तालिबान विदेश मंत्री की भारत यात्रा: एक ऐतिहासिक कदम

तालिबान के विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्ताक़ी 9 अक्टूबर को भारत की यात्रा पर आ रहे हैं, जो कि अगस्त 2021 के बाद से पहली उच्च-स्तरीय यात्रा है। इस यात्रा को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अस्थायी यात्रा छूट प्रदान की है। भारत और तालिबान के बीच बढ़ते संवाद के बीच, यह यात्रा कई महत्वपूर्ण सवाल उठाती है, जैसे कि प्रोटोकॉल और कूटनीतिक संबंधों की स्थिति। जानें इस यात्रा का क्या महत्व है और इसके पीछे की रणनीतियाँ क्या हो सकती हैं।
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तालिबान विदेश मंत्री की भारत यात्रा: एक ऐतिहासिक कदम

तालिबान विदेश मंत्री का भारत दौरा

तालिबान सरकार के विदेश मंत्री, अमीर ख़ान मुत्ताक़ी, 9 अक्टूबर को भारत की यात्रा पर आ रहे हैं। यह यात्रा अगस्त 2021 में तालिबान द्वारा अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद से काबुल से नई दिल्ली की पहली उच्च-स्तरीय यात्रा होगी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस यात्रा के महत्व को देखते हुए मुत्ताक़ी को 9 से 16 अक्टूबर के बीच अस्थायी यात्रा छूट प्रदान की है। सुरक्षा परिषद ने एक बयान में कहा कि 30 सितंबर 2025 को, संकल्प 1988 (2011) के अनुसार, अमीर ख़ान मुत्ताक़ी के यात्रा प्रतिबंध में छूट को मंज़ूरी दी गई है।


भारत और तालिबान के बीच बढ़ता संवाद

हाल ही में, दोनों देशों के बीच बढ़ते संपर्क के चलते, विदेश मंत्री एस जयशंकर और मुत्ताक़ी के बीच 15 मई को फोन पर बातचीत हुई थी। यह बातचीत तालिबान के साथ भारत की ओर से एक महत्वपूर्ण इंगेजमेंट मानी जा रही है। विदेश मंत्री ने इस बातचीत के बारे में सोशल मीडिया पर भी जानकारी साझा की थी। इसके अलावा, इस साल जनवरी में विदेश सचिव विक्रम मिस्री और मुत्ताक़ी के बीच हुई मुलाकात को भी एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक वार्ता के रूप में देखा गया।


प्रोटोकॉल पर सवाल

हालांकि, भारत ने तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है, ऐसे में यह स्पष्ट नहीं है कि मुत्ताक़ी किस प्रोटोकॉल के तहत यात्रा कर रहे हैं। यह भी ध्यान देने योग्य है कि बगराम एयरबेस के मामले में तालिबान भारत का समर्थन चाहता है, लेकिन भारत को इस मामले में बहुत सावधानी बरतनी होगी, क्योंकि अमेरिका के साथ उसके संबंध पहले से ही तनावपूर्ण हैं।