तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी साइबर धोखाधड़ी का शिकार
कोलकाता में साइबर अपराध का मामला
कोलकाता: पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक प्रमुख चेहरा, तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सेरामपुर लोकसभा क्षेत्र के चार बार के सांसद कल्याण बनर्जी एक ऑनलाइन साइबर अपराध के मामले में फंस गए हैं। हाल ही में उनके स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के एक पुराने खाते से लगभग 56 लाख 39 हजार 767 रुपये की राशि अवैध तरीके से निकाली गई।
जानकारी के अनुसार, यह खाता बनर्जी ने 2001 से 2006 के बीच विधायक रहते खोला था, जब वे आसनसोल दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से टीएमसी के विधायक थे। यह खाता एसबीआई की हाई कोर्ट शाखा के अंतर्गत विधानसभा उप-शाखा से जुड़ा हुआ था, जहां विधायकों की सैलरी जमा होती थी। लंबे समय से निष्क्रिय पड़े इस खाते में कोई लेन-देन नहीं हो रहा था, लेकिन हाल के दिनों में धोखेबाजों ने इसे निशाना बनाया।
धोखाधड़ी की प्रक्रिया
कैसे हुई धोखाधड़ी?
सूत्रों के अनुसार, अपराधियों ने नकली पैन कार्ड और आधार कार्ड का उपयोग करके खाते के केवाईसी (नो योर कस्टमर) विवरण को अपडेट कर दिया। इन फर्जी दस्तावेजों पर बनर्जी की तस्वीर को किसी अन्य व्यक्ति की जगह चिपकाया गया था। इसके बाद, 28 अक्टूबर 2025 को खाते से जुड़े मोबाइल नंबर को बदल दिया गया, जिससे धोखेबाजों को पूर्ण नियंत्रण मिल गया। एक बार पहुंच हासिल करने के बाद, उन्होंने बनर्जी के मुख्य खाते (जो एसबीआई की कालीघाट शाखा में है) से लगभग 55 लाख रुपये ट्रांसफर कर लिए। फिर इस राशि को कई अनधिकृत इंटरनेट बैंकिंग लेन-देन के जरिए निकाल लिया गया।
बनर्जी को इस धोखाधड़ी का पता तब चला जब उन्हें अपने मुख्य खाते से ट्रांसफर की जानकारी मिली। वे अब इस मामले में पुलिस की मदद की उम्मीद कर रहे हैं, हालांकि उन्होंने मीडिया को कोई टिप्पणी नहीं की है। उनके करीबी एक टीएमसी नेता ने कहा, "कल्याण जी को भरोसा है कि पुलिस जल्द ही इस केस को सुलझा लेगी और उनकी राशि वापस दिला देगी।"
जांच की प्रक्रिया
साइबर क्राइम सेल ने मामले की जांच शुरू की
कोलकाता पुलिस के साइबर क्राइम सेल ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। अधिकारी अनधिकृत लेन-देन के क्रम का अध्ययन कर रहे हैं और संदिग्धों की पहचान करने में जुटे हैं। अभी तक अपराधियों की पहचान या इस्तेमाल की गई तकनीक के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है।
यह घटना डिजिटल युग में साइबर सुरक्षा की कमजोरियों को उजागर करती है। यदि उच्च पदस्थ व्यक्ति भी सुरक्षित नहीं रह सकते, तो आम नागरिकों के लिए खतरा कितना बड़ा है, यह सोचने पर मजबूर करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि पुराने और निष्क्रिय खातों की नियमित निगरानी आवश्यक है। साथ ही, केवाईसी अपडेट के दौरान सतर्कता बरतनी चाहिए।
