तेजस्वी यादव ने बिहार में अवैध मतदाता पंजीकरण के दावों को किया खारिज

तेजस्वी यादव का खंडन
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने उन समाचारों का खंडन किया है, जिनमें कहा गया था कि बिहार में बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार के नागरिकों को मतदाता के रूप में पंजीकृत किया गया है। यह दावा चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के तहत किया गया था।
सूत्रों की विश्वसनीयता पर सवाल
तेजस्वी यादव ने इन रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया देते हुए 'सूत्रों' की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, "ये सूत्र कौन हैं? हम इन्हें मूत्र समझते हैं।" उन्होंने आगे कहा, "ये वही सूत्र हैं जो कहते हैं कि इस्लामाबाद और लाहौर पर कब्जा हो चुका है।" तेजस्वी ने इसे भाजपा की राजनीति का हिस्सा बताया और कहा कि एनडीए सरकार को ऐसे मामलों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
भाजपा पर गंभीर आरोप
तेजस्वी यादव ने कहा कि यदि अवैध नागरिक मतदाता सूची में शामिल हुए हैं, तो यह सीधे एनडीए की विफलता है, क्योंकि पिछले दो दशकों से वही सरकार केंद्र में है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि भाजपा हर चुनाव में जीतती है, तो क्या इसका मतलब यह है कि "वे सभी चुनाव अवैध मतों के आधार पर जीते गए?"
चुनाव आयोग पर सवाल उठाना
राजद नेता ने चुनाव आयोग पर भी निशाना साधा और आरोप लगाया कि यह संवैधानिक संस्था अब एक राजनीतिक संगठन के एजेंडे पर काम कर रही है। उन्होंने SIR अभियान को जनता की आंखों में "धूल झोंकने वाला" कदम बताया।
चुनाव आयोग की सफाई
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि वह मतदाता सूचियों की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए SIR अभियान चला रहा है, जिसके तहत घर-घर जाकर मतदाताओं के विवरण की जांच की जा रही है। आयोग के अनुसार, 30 सितंबर को संशोधित मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी, जिसमें अवैध प्रवासियों के नाम शामिल नहीं होंगे।
सत्यापन अभियान की जानकारी
चुनाव आयोग ने कहा है कि 1 अगस्त के बाद उन सभी संदिग्ध मतदाताओं की नागरिकता की स्थिति की पुनः जांच की जाएगी, जिन्हें बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) ने अवैध माना है। आयोग का यह भी कहना है कि यह कवायद बांग्लादेश और म्यांमार से आए अवैध प्रवासियों पर कार्रवाई के व्यापक प्रयास का हिस्सा है।
विपक्ष की चिंताएं
विपक्षी दलों ने चेतावनी दी है कि इस तरह के सत्यापन से कई वैध भारतीय नागरिकों को मताधिकार से वंचित किया जा सकता है। उन्होंने आयोग से पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस प्रक्रिया को संवैधानिक करार देते हुए सुझाव दिया है कि आधार, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड को वैध दस्तावेज़ के रूप में स्वीकार किया जाए।
अन्य राज्यों में कार्रवाई की संभावना
चुनाव आयोग इस मॉडल को अन्य राज्यों में भी लागू करने की योजना बना रहा है, जिनमें असम, तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल शामिल हैं, जहां अगले साल चुनाव प्रस्तावित हैं।