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तेजस्वी यादव ने बिहार में कानून व्यवस्था और मीडिया की भूमिका पर उठाए सवाल

तेजस्वी यादव ने बिहार में हाल ही में हुई व्यापारी गोपाल खेमका की हत्या के बाद नीतीश सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने स्थानीय मीडिया पर भी आरोप लगाया कि वे पत्रकारिता के मूल्यों को भूल चुके हैं। तेजस्वी का कहना है कि यदि किसी को बिहार की बिगड़ी कानून व्यवस्था पर गुस्सा नहीं आ रहा है, तो इसका मतलब है कि उनकी मानवीय संवेदना समाप्त हो चुकी है। उन्होंने मीडिया के पक्षपाती रवैये की भी आलोचना की और सुधार की मांग की।
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तेजस्वी यादव ने बिहार में कानून व्यवस्था और मीडिया की भूमिका पर उठाए सवाल

बिहार में कानून व्यवस्था पर सवाल

बिहार की राजनीति: बिहार में व्यापारी गोपाल खेमका की हत्या के बाद नीतीश सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस घटना के संदर्भ में कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने स्थानीय मीडिया पर भी पत्रकारिता के मूल्यों को भूलने का आरोप लगाया है। तेजस्वी ने कहा कि यदि किसी को बिहार की बिगड़ी कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार पर गुस्सा नहीं आ रहा है, तो इसका मतलब है कि उस व्यक्ति का न्यायिक चरित्र और मानवीय संवेदना समाप्त हो चुकी है।


तेजस्वी यादव ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "अगर बिहार की ध्वस्त कानून व्यवस्था और बेलगाम भ्रष्टाचार पर किसी को गुस्सा नहीं आ रहा है, तो समझिए उस इंसान का न्यायिक चरित्र और मानवीय संवेदना मर चुकी है। जाति और धर्म के नाम पर सरकार की विफलताओं को नजरअंदाज करना बिहार और बिहारियों के लिए घातक है। NDA के शासन में अब तक 65,000 हत्याएं हो चुकी हैं, फिर भी मंगलराज की बात की जा रही है। मुख्यमंत्री किसी घटना पर प्रतिक्रिया देने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।"



तेजस्वी ने आगे कहा कि बिहार के समाचार पत्र पत्रकारिता के मूल्यों को भूल चुके हैं। उन्होंने प्रिंट मीडिया से कई बार अनुरोध किया कि बिहार की सबसे बड़ी पार्टी और प्रमुख विपक्षी नेताओं को सरकार के जनविरोधी निर्णयों पर स्थान मिलना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य से, ये अखबार सत्ताधारी दलों के प्रवक्ताओं के बयानों से भरे रहते हैं।


उन्होंने कहा, "अब बहुत हो चुका! हमारी विचारधारा को मानने वाले करोड़ों न्यायप्रिय लोग बिहार में हैं, जो मीडिया के पक्षपाती रवैये से आहत हैं। यदि सुधार नहीं होता है, तो हम सबका नाम लेकर बायकॉट करेंगे। जनता अब अपने पैसे से ऐसे अखबार नहीं खरीदेगी जो केवल धनपशुओं की तिजोरी भरते हैं। इनकी विश्वसनीयता खतरे में है।"