तेजस्वी यादव ने बिहार विधानसभा में चुनाव आयोग पर उठाए सवाल

चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए तेजस्वी यादव
बिहार विधानसभा में बुधवार को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने इसे समय से पूर्व, अव्यवहारिक और गरीबों के खिलाफ बताया। इसके साथ ही, आयोग पर अपने संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करने का आरोप भी लगाया।
तेजस्वी यादव ने कहा कि मतदाता सूची पहले ही फरवरी में प्रकाशित हो चुकी थी, तो अब इतनी जल्दीबाज़ी क्यों? उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग 25 दिनों में 11 दस्तावेज मांग रहा है, जो गरीबों और ग्रामीणों के लिए संभव नहीं है। इनमें पहचान पत्र, जन्म प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, आधार कार्ड और मोबाइल नंबर जैसी चीजें शामिल हैं। तेजस्वी ने इसे "अव्यवहारिक और बहिष्कारी" करार दिया।
प्रवासी मजदूरों के अधिकारों पर उठे सवाल
प्रवासी मजदूरों के अधिकारों पर सवाल
तेजस्वी ने राज्यसभा में सरकार द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि लगभग 3 करोड़ बिहारी देश के विभिन्न हिस्सों में काम कर रहे हैं। यदि अनौपचारिक मजदूरों को भी शामिल किया जाए, तो यह संख्या 4.3 करोड़ तक पहुंच जाती है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब ये लोग वोट डालने के लिए लौटते हैं, तो अब आयोग उन्हें मतदाता सूची से क्यों हटाना चाहता है?
डिजिटल प्रक्रिया और संवैधानिक दायरा
डिजिटल प्रक्रिया और संवैधानिक दायरा
तेजस्वी ने यह भी कहा कि बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल पहुंच सीमित है, ऐसे में पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन आधारित करना अन्याय है। उन्होंने स्पष्ट कहा, "चुनाव आयोग कौन होता है यह तय करने वाला कि कौन नागरिक है और कौन नहीं? इसका काम केवल निष्पक्ष चुनाव कराना है।" उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल आयोग के हलफनामे का उल्लेख करते हुए कहा कि जब घुसपैठियों के कोई सबूत नहीं हैं, तो इतनी जल्दबाज़ी क्यों?