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तेलंगाना के रवींद्र की इज़राइल में मौत: परिवार ने मांगी मदद

तेलंगाना के जगतियाल जिले के निवासी रवींद्र की इज़राइल में चल रहे संघर्ष के दौरान मौत हो गई। उनकी पत्नी ने सरकार से मदद की अपील की है ताकि उनके पति का शव भारत लाया जा सके। रवींद्र की स्वास्थ्य समस्याओं के कारण उनकी मृत्यु हुई। इस घटना के बाद तेलंगाना सरकार ने विदेशों में रह रहे नागरिकों के लिए हेल्पलाइन शुरू की है। इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच यह घटना हुई है, जिससे क्षेत्र में स्थिति और भी गंभीर हो गई है।
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तेलंगाना के रवींद्र की इज़राइल में मौत: परिवार ने मांगी मदद

तेलंगाना के नागरिक की दुखद मौत

इज़राइल में चल रहे संघर्ष के बीच तेलंगाना के जगतियाल जिले के निवासी रवींद्र की मृत्यु हो गई। वह विजिट वीज़ा पर इज़राइल में पार्ट-टाइम काम कर रहे थे। उनकी पत्नी आर. विजयलक्ष्मी ने बताया कि जब संघर्ष शुरू हुआ, तब रवींद्र ने परिवार से संपर्क किया और कहा कि वह बमबारी से बहुत डर गए हैं और अपनी जान को खतरे में महसूस कर रहे हैं। परिवार ने उन्हें सांत्वना देने की कोशिश की, लेकिन स्थिति लगातार बिगड़ती गई।


स्वास्थ्य समस्याओं के चलते हुई मौत

स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का असर


विजयलक्ष्मी के अनुसार, रवींद्र को पहले से ही स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं थीं और वह अक्सर अस्पताल जाते थे। जिस दिन यह घटना हुई, उस दिन अस्पताल के पास एक बम विस्फोट हुआ, जिससे वह घबरा गए और उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिसके कारण उनकी मृत्यु हो गई। अस्पताल प्रशासन ने इस दुखद घटना की पुष्टि की है।


रवींद्र की पत्नी ने केंद्र और राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि उनके पति के शव को भारत लाने में सहायता की जाए। इसके साथ ही, उन्होंने अपने बच्चों के लिए नौकरी दिलवाने में मदद की भी मांग की है। इस घटना के बाद, तेलंगाना सरकार ने नई दिल्ली स्थित तेलंगाना भवन में एक हेल्पलाइन स्थापित की है, ताकि विदेशों में रह रहे नागरिकों को सहायता मिल सके।


इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ता तनाव

क्षेत्रीय तनाव की स्थिति


इस बीच, इज़राइल और ईरान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। बुधवार को ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बाघई ने चेतावनी दी कि यदि अमेरिका ने इज़राइली हमलों में हस्तक्षेप जारी रखा, तो यह टकराव एक बड़े युद्ध में बदल सकता है। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की अमेरिकी भागीदारी पूरे क्षेत्र को युद्ध की आग में झोंक सकती है। पहले अमेरिका ने इस संघर्ष से दूरी बनाए रखी थी, लेकिन अब वह अधिक सक्रिय भूमिका निभाने के संकेत दे रहा है।