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तेलंगाना में अडानी सीमेंट प्लांट पर विवाद: CPI(M) का विरोध प्रदर्शन

तेलंगाना के सूर्यापेट जिले में अडानी समूह के सीमेंट प्लांट के खिलाफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया है। पार्टी का आरोप है कि यह प्लांट प्रदूषण बढ़ाएगा और स्थानीय किसानों की आजीविका को खतरे में डालेगा। CPI(M) ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह बड़े कॉर्पोरेट्स के हितों को प्राथमिकता दे रही है। जानें इस विवाद के पीछे की मुख्य चिंताएं और पार्टी की मांगें।
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तेलंगाना में अडानी सीमेंट प्लांट पर विवाद: CPI(M) का विरोध प्रदर्शन

तेलंगाना में अडानी सीमेंट प्लांट का विवाद

तेलंगाना के सूर्यापेट जिले में अडानी समूह द्वारा स्थापित किए जा रहे सीमेंट प्लांट के खिलाफ विवाद बढ़ता जा रहा है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) - CPI(M) ने इस प्लांट के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। उनका आरोप है कि यह प्लांट न केवल प्रदूषण बढ़ाएगा, बल्कि स्थानीय किसानों की आजीविका पर भी नकारात्मक प्रभाव डालेगा।

CPI(M) के राज्य सचिव तम्मिनेनी वीरभदरम ने तेलंगाना सरकार पर आरोप लगाया है कि वह अडानी जैसे बड़े कॉर्पोरेट्स को किसानों और आम जनता की कीमत पर लाभ पहुंचा रही है। उन्होंने कहा कि सलाका गांव, कोडद मंडल में प्रस्तावित सीमेंट प्लांट पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा है और इससे आसपास के गांवों के जीवन पर बुरा असर पड़ेगा।

सीपीआई(एम) के मुख्य आरोपों में शामिल हैं:

  • पर्यावरण प्रदूषण: तम्मिनेनी वीरभदरम के अनुसार, यह प्लांट वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण का कारण बनेगा, जिससे आसपास की कृषि भूमि और जल स्रोत प्रभावित होंगे।
  • किसानों की आजीविका पर खतरा: प्लांट के लिए भूमि अधिग्रहण से किसानों की रोजी-रोटी छिन जाएगी, और उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है।
  • स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं: प्रदूषण के कारण स्थानीय निवासियों को स्वास्थ्य समस्याओं, विशेषकर श्वसन रोगों का सामना करना पड़ेगा।
  • सरकारी नीतियों पर सवाल: CPI(M) ने आरोप लगाया कि सरकार ने औद्योगिक विकास के नाम पर अडानी को मनमानी करने की अनुमति दी है, जिससे गरीबों के हितों की अनदेखी हो रही है।

सीपीआई(एम) ने तेलंगाना सरकार से मांग की है कि वह तुरंत इस प्लांट के निर्माण को रोके और किसानों के लिए उचित पुनर्वास पैकेज की घोषणा करे। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे अडानी के खिलाफ अपने विरोध को और तेज करेंगे और किसानों के अधिकारों के लिए संघर्ष करेंगे। यह मामला अब तेलंगाना में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा बन गया है।