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तेलंगाना हाईकोर्ट में जज का अनोखा मामला: तबादले के बावजूद पुरानी अदालत में सुनवाई जारी

तेलंगाना हाईकोर्ट में जस्टिस टी. विनोद कुमार का तबादला मद्रास हाईकोर्ट में हुआ, लेकिन उन्होंने पुरानी अदालत में सुनवाई जारी रखी है। यह स्थिति न्यायपालिका के लिए असामान्य है, क्योंकि आमतौर पर जज जल्दी नई पोस्टिंग पर चले जाते हैं। जानें इस मामले के पीछे की कहानी और जस्टिस कुमार की प्रतिक्रिया।
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तेलंगाना हाईकोर्ट में जज का अनोखा मामला: तबादले के बावजूद पुरानी अदालत में सुनवाई जारी

जज का अद्वितीय मामला

हैदराबाद: न्यायपालिका के इतिहास में एक अनोखा मामला सामने आया है, जिसमें एक जज अपने तबादले के आदेश के दो सप्ताह बाद भी नई अदालत में कार्यभार ग्रहण नहीं कर रहे हैं। यह मामला तेलंगाना हाईकोर्ट से संबंधित है, जहाँ जस्टिस टी. विनोद कुमार का ट्रांसफर मद्रास हाईकोर्ट में किया गया है, लेकिन उन्होंने अब तक अपनी नई जिम्मेदारी नहीं ली है।


सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 26 मई को 22 जजों के तबादले की सिफारिश की थी, जिसके बाद केंद्र सरकार ने 14 जुलाई को 19 जजों के ट्रांसफर का नोटिफिकेशन जारी किया, जिसमें जस्टिस टी. विनोद कुमार का नाम भी शामिल था। आश्चर्य की बात यह है कि उनके साथ ट्रांसफर हुए अन्य 18 जज अपनी नई अदालतों में कार्यभार संभाल चुके हैं, जबकि जस्टिस कुमार अभी भी तेलंगाना हाईकोर्ट में ही उपस्थित हैं।


एक रिपोर्ट के अनुसार, यह स्थिति असामान्य है, क्योंकि आमतौर पर जज तबादले के आदेश के एक-दो दिन के भीतर नई पोस्टिंग पर चले जाते हैं। तेलंगाना हाईकोर्ट की वेबसाइट के आंकड़े भी यह दर्शाते हैं कि जस्टिस कुमार ने अपने तबादले के बाद भी कई मामलों की सुनवाई की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सोमवार को भी वह अदालत पहुंचे और कुछ पहले से सुरक्षित मामलों में निर्णय सुनाए।


तेलंगाना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार एस. गोवर्धन रेड्डी ने भी पुष्टि की है कि जस्टिस कुमार अदालत आ रहे हैं। उन्होंने कहा, "हमें लॉर्डशिप (न्यायाधीश) की तरफ से कोई जानकारी नहीं दी गई है। जैसा कि आपने कहा, सर आ रहे हैं... लॉर्डशिप के लगातार काम करने के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है।" जस्टिस कुमार ने अब तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट में कार्यभार क्यों नहीं संभाला है।


जस्टिस कुमार ने 1988 में वकील के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी और अगस्त 2019 में तेलंगाना हाईकोर्ट में जज के रूप में नियुक्त हुए थे। उनके इस कदम ने न्यायिक क्षेत्र में नई बहस को जन्म दिया है।