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थाईलैंड और कंबोडिया के बीच बढ़ता तनाव: सीमा पर संघर्ष जारी

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा पर जारी संघर्ष ने क्षेत्रीय स्थिरता को गंभीर खतरे में डाल दिया है। हालात में सुधार की बजाय बिगड़ते जा रहे हैं, जिससे स्थानीय नागरिकों में भय का माहौल है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीजफायर की उम्मीद जताई थी, लेकिन हालात ने उनकी उम्मीदों को ध्वस्त कर दिया। इस विवाद की जड़ें प्रीह विहेयर मंदिर से जुड़ी हैं, जो दोनों देशों के बीच लंबे समय से तनाव का कारण बना हुआ है। जानें इस जटिल स्थिति के बारे में अधिक जानकारी।
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संघर्ष की स्थिति

दक्षिण-पूर्व एशिया के पड़ोसी देश थाईलैंड और कंबोडिया के बीच हालिया टकराव ने क्षेत्रीय स्थिरता को गंभीर खतरे में डाल दिया है। रविवार, 27 जुलाई को संघर्ष का चौथा दिन था, लेकिन हालात में सुधार की बजाय और बिगड़ते जा रहे हैं। सीमा पर भारी गोलीबारी और तोपों की आवाजें सुनाई दे रही हैं, जिससे यह स्पष्ट है कि युद्ध विराम की अपीलें अब तक बेअसर रही हैं।


सम्रोंग शहर, जो कंबोडिया की सीमा से लगभग 20 किलोमीटर दूर है, में भी धमाकों की आवाजें सुनाई दी हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि संघर्ष का दायरा सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इसका असर दूर-दराज के क्षेत्रों तक पहुंचने लगा है। स्थानीय नागरिकों में भय का माहौल है और हजारों लोग पलायन की तैयारी कर रहे हैं।


अंतरराष्ट्रीय प्रयास और डोनाल्ड ट्रंप का बयान

संघर्ष को समाप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रयास किए जा रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को कहा था कि थाईलैंड और कंबोडिया के नेताओं के बीच बातचीत के बाद जल्द ही सीजफायर लागू किया जा सकता है। उन्होंने Truth Social पर यह भी कहा कि दोनों देशों के प्रधानमंत्री शीघ्र ही मिलकर समाधान निकालेंगे।


हालांकि, ट्रंप की यह उम्मीद ज्यादा समय तक नहीं टिक सकी। उनके बयान के कुछ घंटों बाद ही सीमा पर फिर से भारी गोलाबारी शुरू हो गई, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि कूटनीति और वास्तविकता के बीच एक बड़ा अंतर है।


विवाद का कारण: प्रीह विहेयर मंदिर

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच लंबे समय से सीमा रेखा को लेकर विवाद चल रहा है। यह सीमा 817 किलोमीटर लंबी है और कई बार संप्रभुता के विवाद का कारण बन चुकी है। सबसे अधिक तनाव प्रीह विहेयर मंदिर को लेकर है, जो कंबोडिया के क्षेत्र में स्थित है और 2008 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।


हालांकि, मंदिर जिस पहाड़ी पर स्थित है, वह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है। 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने इसे कंबोडिया का हिस्सा माना था, लेकिन थाईलैंड ने इस निर्णय को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया। तभी से यह क्षेत्र दोनों देशों के बीच तनाव और झड़पों का केंद्र बना हुआ है।