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दक्षिण कोरिया में कुत्तों के मांस पर ऐतिहासिक प्रतिबंध

दक्षिण कोरिया ने कुत्तों के मांस के सेवन पर एक ऐतिहासिक प्रतिबंध लगाया है, जिससे 5 लाख से अधिक कुत्ते और हजारों किसान प्रभावित हुए हैं। यह निर्णय पशु अधिकारों के प्रति बढ़ती जागरूकता और युवा पीढ़ी के बदलते दृष्टिकोण का परिणाम है। जानें इस निर्णय के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
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दक्षिण कोरिया में कुत्तों के मांस पर ऐतिहासिक प्रतिबंध

कुत्तों के मांस पर प्रतिबंध का ऐतिहासिक निर्णय

दक्षिण कोरिया ने कुत्तों के मांस के सेवन पर एक महत्वपूर्ण प्रतिबंध लागू किया है, जिससे 5 लाख से अधिक कुत्तों और हजारों किसानों की स्थिति अनिश्चित हो गई है। यह निर्णय न केवल एक पुरानी परंपरा का अंत है, बल्कि पशु अधिकारों के लिए एक नई शुरुआत का संकेत भी है। हाल ही में, राष्ट्रीय संसद ने कुत्तों के मांस की बिक्री और उपभोग पर रोक लगाने वाला एक विधेयक पारित किया है। यह प्रतिबंध 2027 से प्रभावी होगा, जिसमें तीन साल का संक्रमण काल दिया गया है। इस अवधि में, व्यवसाय से जुड़े लोग अपने कार्यों को बंद करने और नए विकल्पों की खोज करने का समय पाएंगे।
यह निर्णय पशु अधिकारों के प्रति बढ़ती जागरूकता, अंतर्राष्ट्रीय दबाव और जनसामान्य की बदलती राय के बीच लिया गया है। खासकर युवा पीढ़ी, जो कुत्तों को साथी के रूप में देखती है, ने इस प्रतिबंध का समर्थन किया है। यह प्रतिबंध मुख्य रूप से लगभग 3,500 कुत्ता फार्मों, कसाइयों और रेस्तरां मालिकों को प्रभावित करेगा, जो इस व्यवसाय पर निर्भर थे। इन फार्मों में लगभग 5,20,000 कुत्ते हैं, जिनमें 'नूरियोंगी' नस्ल शामिल है।
सरकार ने किसानों को वैकल्पिक व्यवसायों में सहायता देने का वादा किया है, लेकिन कई किसान इस पर संदेह व्यक्त कर रहे हैं। उनका कहना है कि उनके बड़े निवेश और उम्र के कारण पुनः प्रशिक्षण के सीमित विकल्पों के चलते मुआवजा अपर्याप्त हो सकता है। कोरिया में कुत्तों का मांस खाना एक पुरानी परंपरा है, जिसे गर्मियों में इसके स्वास्थ्य लाभों के लिए खाया जाता रहा है। हालांकि, पिछले कुछ दशकों में इसकी लोकप्रियता में गिरावट आई है, खासकर युवा कोरियाई लोगों के बीच। यह प्रतिबंध, जिसे पशु अधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा एक बड़ी जीत माना गया है, अधिकारियों के लिए इन जानवरों के कल्याण का प्रबंधन करने और प्रभावित व्यक्तियों को नई आजीविका खोजने में सहायता करने की चुनौती पेश करता है। अब लाखों कुत्तों और हजारों परिवारों का भविष्य अनिश्चितता में है।