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दक्षिण कोरिया में बाल झड़ने को 'सर्वाइवल का मुद्दा' मानने की पहल

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे म्युंग ने बाल झड़ने को 'सर्वाइवल का मुद्दा' मानते हुए इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा में शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। यह पहल न केवल स्वास्थ्य नीति को प्रभावित करेगी, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और आत्म-सम्मान से जुड़े गंभीर मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित करेगी। राष्ट्रपति का यह बयान समाज में गंजेपन के प्रति बढ़ते दबाव को दर्शाता है, जो युवाओं और वयस्कों के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय बन गया है।
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दक्षिण कोरिया में बाल झड़ने को 'सर्वाइवल का मुद्दा' मानने की पहल

दक्षिण कोरिया का अनोखा स्वास्थ्य दृष्टिकोण

नई दिल्ली - कई देशों में स्वास्थ्य संबंधी चर्चाएँ अक्सर बुनियादी सुविधाओं, बीमारियों और दवाओं तक सीमित रहती हैं। लेकिन दक्षिण कोरिया ने 2025 में एक नई बहस को जन्म दिया है। राष्ट्रपति ली जे म्युंग ने बाल झड़ने को केवल सौंदर्य समस्या मानने से इनकार करते हुए इसे 'सर्वाइवल का मामला' बताया और इसके इलाज को सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा में शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया।


यह घोषणा एक पॉलिसी ब्रीफिंग के दौरान की गई थी, जिसमें कुछ विशेष प्रकार के बालों के झड़ने के लिए उपलब्ध सीमित चिकित्सा उपचारों के कवरेज को बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया। दक्षिण कोरिया में एक यूनिवर्सल इंश्योरेंस स्कीम है, जो आय के आधार पर प्रीमियम से फंड की जाती है। वर्तमान में, यह योजना केवल चिकित्सा कारणों से होने वाले बालों के झड़ने को कवर करती है, जैसे कि 'एलोपेसिया एरेटा'। आमतौर पर पुरुषों में होने वाले गंजेपन के इलाज इस कवरेज से बाहर हैं।


राष्ट्रपति के इस बयान ने कोरिया में गंजापन को हल्की चर्चा का विषय नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य, आत्म-सम्मान और सामाजिक दबाव से जुड़ा गंभीर मुद्दा बना दिया है। उनका कहना है कि बाल झड़ने की समस्या लाखों युवाओं और वयस्कों को प्रभावित कर रही है, जिससे अवसाद, सामाजिक अलगाव और आत्मविश्वास में कमी जैसी स्थितियाँ उत्पन्न हो रही हैं। इसे केवल कॉस्मेटिक समस्या मानना उचित नहीं है।


दक्षिण कोरिया पहले से ही सौंदर्य और आत्म-छवि के प्रति जागरूक समाजों में से एक है। के-पॉप संस्कृति, कॉर्पोरेट प्रतिस्पर्धा और सामाजिक अपेक्षाओं के बीच बाहरी रूप-रंग को लेकर दबाव गहरा है। 2024 में युवाओं पर किए गए एक सर्वे में पाया गया कि 98 प्रतिशत ने माना कि आकर्षक लोगों को सामाजिक लाभ मिलते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, बाल झड़ने की समस्या कई लोगों के करियर, रिश्तों और मानसिक स्थिरता से सीधे जुड़ी हुई है। राष्ट्रपति का बयान इसी सामाजिक सच्चाई को राजनीतिक मंच पर लाने का प्रयास है।


राष्ट्रपति ने इस पॉलिसी का प्रस्ताव पहली बार 2022 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान किया था, लेकिन उस समय इसे लोकलुभावन वादा कहकर आलोचना का सामना करना पड़ा था। इस प्रस्ताव पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ भी आई हैं। कुछ लोगों ने इसे 'अमीरों की समस्या' कहकर आलोचना की, जबकि मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और युवा वर्ग ने इसे समय की आवश्यकता बताया। उनका कहना है कि आधुनिक समाज में मानसिक पीड़ा को शारीरिक बीमारी से अलग नहीं देखा जा सकता।


सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह अभी केवल एक नीति-स्तरीय सुझाव है, लेकिन यदि इसे लागू किया गया, तो हेयर लॉस से जुड़े कुछ चिकित्सा उपचारों को आंशिक या पूर्ण बीमा कवरेज मिल सकता है। यह कदम न केवल स्वास्थ्य नीति की परिभाषा को बदलेगा, बल्कि भविष्य में 'स्वास्थ्य' को देखने के नजरिए को भी प्रभावित करेगा।