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दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चुनाव: एक रहस्यमय प्रक्रिया

दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चुनाव एक रहस्यमय प्रक्रिया है, जो तिब्बती बौद्ध धर्म की प्राचीन परंपराओं पर आधारित है। इस प्रक्रिया में दलाई लामा की आत्मा के पुनर्जन्म की मान्यता शामिल है। दलाई लामा के निधन के बाद, नए उत्तराधिकारी की खोज शुरू होती है, जिसमें कई परीक्षाएं और संकेत शामिल होते हैं। जानें इस अनोखी प्रक्रिया के बारे में और कैसे चीन इस परंपरा को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है।
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दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चुनाव

क्या आप जानते हैं कि तिब्बत के बौद्ध धर्म के प्रमुख दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चुनाव किस प्रकार किया जाता है? इस समय, दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन पर चर्चा तेज हो गई है, खासकर जब वे जल्द ही 90 वर्ष के हो जाएंगे। दलाई लामा ने अपनी किताब में संकेत दिया था कि वे अपने उत्तराधिकारी के बारे में जानकारी 90 वर्ष की उम्र के बाद साझा करेंगे। 6 जुलाई को, 14वें दलाई लामा अपना 90वां जन्मदिन मनाएंगे, और धर्मशाला के मैकलोडगंज में तीन दिन तक विशेष समारोह का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यक्रम पर न केवल भारत, बल्कि चीन और अमेरिका की भी नजरें हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी की खोज की प्रक्रिया कितनी अनोखी और रहस्यमय होती है? आइए इसे विस्तार से समझते हैं।


दलाई लामा के चुनाव की प्रक्रिया तिब्बत की प्राचीन परंपरा पर आधारित है, जो पुनर्जन्म की मान्यता पर निर्भर करती है। तिब्बती बौद्ध धर्म में यह विश्वास किया जाता है कि दलाई लामा की आत्मा पुनर्जन्म लेकर अपने पद को संभालती है। दलाई लामा के निधन के बाद लगभग नौ महीने के भीतर नए दलाई लामा की खोज शुरू होती है। कभी-कभी, दलाई लामा अपनी मृत्यु से पहले संकेत छोड़ देते हैं, जिनकी मदद से नए उत्तराधिकारी की पहचान की जाती है।


यह खोज कई वर्षों तक चल सकती है। नए दलाई लामा को चुनने के लिए पुराने दलाई लामा की कुछ व्यक्तिगत वस्तुएं बच्चे के सामने रखी जाती हैं। जिस बच्चे को ये वस्तुएं सही तरीके से पहचान में आ जाएं, वही नए दलाई लामा के रूप में चुना जाता है।


नए दलाई लामा को चुने जाने के बाद उसे शिक्षित किया जाता है और कई परीक्षाओं से गुजरना होता है। एक मुख्य परीक्षा यह होती है कि बच्चे को पुराने दलाई लामा की वस्तुएं पहचाननी होती हैं। उदाहरण के लिए, 14वें दलाई लामा ने महज दो साल की उम्र में 13वें दलाई लामा की चीजें पहचान ली थीं।


इसके अलावा, एक और दिलचस्प तरीका है सोने के कलश से नाम निकालना। इस प्रथा में कागज पर दलाई लामा के संभावित नाम एक सोने के कलश में छुपाए जाते थे। हालांकि, अब यह कलश चीन के पास है। कभी-कभी पहचान के लिए इंद्रधनुष जैसे प्राकृतिक चमत्कार का भी सहारा लिया जाता है। 1758 में, आठवें दलाई लामा की पहचान इंद्रधनुष के माध्यम से हुई थी, जब आसमान में चमकीले रंग का इंद्रधनुष उनकी मां को छू गया था।


चीन और दलाई लामा के बीच विवाद 1950 के दशक के अंत से जारी है। चीन दलाई लामा को अलगाववादी मानता है और अपनी संप्रभुता के लिए खतरा मानता है। इसलिए, जब भी दलाई लामा विदेश दौरे पर जाते हैं या किसी विदेशी मंत्री से मिलते हैं, चीन कड़ा विरोध जताता है। चीन का यह भी दावा है कि दलाई लामा के चयन का अधिकार उसके नेताओं के पास है और वे इसी परंपरा के तहत सोने के कलश से संभावित नाम निकालते हैं। हालांकि, कई तिब्बती इस बात पर संदेह करते हैं कि चीन इस प्रक्रिया का उपयोग अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करने के लिए कर रहा है।