दलाई लामा के उत्तराधिकारी पर विवाद: भारत-चीन संबंधों में नया तनाव

दलाई लामा के उत्तराधिकारी का विवाद
Dalai Lama: तिब्बती बौद्ध धर्म के प्रमुख दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर उत्पन्न विवाद ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तनाव को बढ़ा दिया है। चीन ने इस मुद्दे पर भारत से सावधानी बरतने का अनुरोध किया है, जिससे दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों में और जटिलता आ सकती है। यह विवाद धार्मिक, राजनीतिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह तिब्बत के भविष्य और भारत-चीन संबंधों पर प्रभाव डाल सकता है। दलाई लामा, जो कई दशकों से भारत में निवास कर रहे हैं, तिब्बती समुदाय के लिए आध्यात्मिक मार्गदर्शक और स्वतंत्रता के प्रतीक बने हुए हैं। उनके उत्तराधिकारी का चयन एक ऐसा विषय है जो न केवल तिब्बती बौद्धों, बल्कि वैश्विक शक्तियों के लिए भी महत्वपूर्ण है।
दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन
दलाई लामा, जिनका असली नाम तेनजिन ग्यात्सो है, 1959 में तिब्बत से भागकर भारत आए थे। तब से वे हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में निवास कर रहे हैं, जहां से वे तिब्बती बौद्ध धर्म का नेतृत्व करते हैं। उनके उत्तराधिकारी का चयन एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें पारंपरिक तिब्बती बौद्ध प्रथाएं शामिल हैं। हालांकि, चीन इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का प्रयास कर रहा है, जिसे तिब्बती समुदाय और दलाई लामा के समर्थक एक गंभीर खतरे के रूप में देख रहे हैं।
चीन की चेतावनी और भारत की प्रतिक्रिया
चीन ने हाल ही में एक बयान जारी कर भारत से इस मामले में "सावधानी से काम करने" का अनुरोध किया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन एक धार्मिक प्रक्रिया है, जिसमें बाहरी हस्तक्षेप उचित नहीं है। भारत को इस संवेदनशील मुद्दे पर सावधानी बरतनी चाहिए ताकि द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान न पहुंचे।" भारत ने इस मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन यह स्पष्ट है कि नई दिल्ली इस मामले में सतर्कता बरत रही है। भारत सरकार ने हमेशा दलाई लामा को एक धार्मिक नेता के रूप में सम्मान दिया है, लेकिन साथ ही वह चीन के साथ अपने कूटनीतिक संबंधों को संतुलित करने की कोशिश कर रही है।
तिब्बती समुदाय की चिंताएं
तिब्बती समुदाय और दलाई लामा के अनुयायियों का मानना है कि चीन तिब्बती बौद्ध धर्म की परंपराओं को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहा है। तिब्बती बौद्धों का कहना है कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनने की प्रक्रिया पूरी तरह से धार्मिक होनी चाहिए, जिसमें किसी भी सरकार का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। तिब्बती प्रवासी समुदाय के एक प्रतिनिधि ने कहा, "चीन का दखल न केवल हमारी धार्मिक स्वतंत्रता को खतरे में डालता है, बल्कि यह तिब्बती संस्कृति को भी कमजोर करने का प्रयास है।"