दहेज प्रथा का शिकार: पीलीभीत में एक महिला की मौत

दहेज प्रथा की काली सच्चाई
भारत में दहेज प्रथा को समाप्त करने के लिए कानून बनाए गए हैं, लेकिन यह सामाजिक बुराई आज भी कई परिवारों की खुशियों को छीन रही है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले से एक दुखद घटना सामने आई है, जहां एक महिला ने दहेज की मांग के चलते अपनी जान गंवा दी।
दर्दनाक घटना का विवरण
गजरोला थाना क्षेत्र के बिठौरा कलां गांव में शनिवार को एक दुखद घटना हुई। किसान चंद्रपाल की पत्नी कुशमा देवी की मृत्यु हो गई। पुलिस जांच में यह स्पष्ट हुआ कि ससुराल वालों ने दहेज के लिए उस पर लगातार दबाव बनाया। जब उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो पहले उसे जहरीला पदार्थ दिया गया और फिर बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला गया।
पिता का बयान
मृतका के पिता सुंदर लाल ने थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने बताया कि छह साल पहले उनकी बेटी की शादी चंद्रपाल से हुई थी। शादी में उन्होंने अपनी सामर्थ्य के अनुसार उपहार दिए थे, लेकिन ससुराल वाले हमेशा असंतुष्ट रहे। उनके अनुसार, चंद्रपाल और उसके परिवार ने एक लाख रुपये नकद, मोटरसाइकिल और सोने की चैन की मांग की थी। जब उनकी बेटी इन मांगों को पूरा नहीं कर पाई, तो उसे मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ा।
पुलिस की कार्रवाई
गंभीर आरोपों को देखते हुए पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की। गजरोला थाना प्रभारी बृजवीर सिंह ने बताया कि पति चंद्रपाल, उसके पिता जगन्नाथ, मां प्रेमवती, छोटे भाई गंगाराम और बहन पूजा देवी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और दहेज निषेध अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। सभी आरोपियों की तलाश जारी है और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।
गांव में आक्रोश
इस घटना के बाद गांव में शोक और आक्रोश का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि दहेज जैसी कुप्रथाएं बेटियों की जिंदगी को खतरे में डाल रही हैं। लोग यह सवाल भी उठा रहे हैं कि कानून होने के बावजूद ऐसे मामले क्यों नहीं रुक रहे। यह घटना एक बार फिर समाज को यह सोचने पर मजबूर करती है कि दहेज का लोभ अभी भी समाप्त नहीं हुआ है।