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दाचीगाम में आतंकवादियों के खिलाफ सफल सैन्य अभियान से बढ़ी कश्मीरियों की उम्मीद

दाचीगाम में हाल ही में हुए सैन्य अभियान ने तीन आतंकवादियों को समाप्त कर कश्मीर में सुरक्षा की भावना को पुनर्स्थापित किया है। ऑपरेशन महादेव ने स्थानीय लोगों में विश्वास जगाया है, जिससे वे आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं। इस अभियान की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि सुरक्षाबल अब आतंकियों की गतिविधियों पर पैनी नज़र रख रहे हैं। जानें इस ऑपरेशन की पूरी कहानी और इसके प्रभाव के बारे में।
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सैन्य अभियान का प्रभाव

हाल ही में दाचीगाम के घने जंगलों में भारतीय सुरक्षाबलों द्वारा चलाए गए एक सैन्य अभियान ने न केवल तीन आतंकवादियों को समाप्त किया, बल्कि घाटी में फैली असुरक्षा की भावना को भी चुनौती दी है। सोमवार को 'ऑपरेशन महादेव' के तहत सुरक्षाबलों ने यह स्पष्ट कर दिया कि आतंकियों की गतिविधियों का अब कोई भी जवाब नहीं दिया जाएगा।


22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले के बाद कश्मीर में नागरिकों में भय और गुस्सा था। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान गई, जिनमें कई पर्यटक शामिल थे। हमले के बाद स्थानीय लोग सड़कों पर उतर आए थे और कई परिवारों ने कश्मीर छोड़ने का मन बना लिया था। लेकिन अब, जब सुरक्षाबलों ने हमले के मास्टरमाइंड्स को मार गिराया है, तो लोगों को यह महसूस हुआ है कि उनका संघर्ष व्यर्थ नहीं गया।


तकनीकी और स्थानीय जानकारी का समन्वय

इस ऑपरेशन की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह थी कि एक साधारण रेडियो सिग्नल ने पूरे घटनाक्रम को बदल दिया। एक चीनी निर्मित अल्ट्रा रेडियो डिवाइस से भेजा गया एनक्रिप्टेड संदेश भारतीय एजेंसियों के हाथ लगा, जिससे सुरक्षाबलों ने कार्रवाई की। प्रारंभिक जांच में यह पता चला कि यह डिवाइस लश्कर-ए-तैयबा द्वारा पहलगाम हमले की योजना में इस्तेमाल की गई थी।


इसके बाद खुफिया टीमें सक्रिय हो गईं। दाचीगाम के जंगलों में इस डिवाइस की अंतिम गतिविधि के बाद, सुरक्षाबलों ने अपनी खोज को सीमित किया। लेकिन केवल तकनीक ही नहीं, स्थानीय बकरवाल समुदाय से मिली जानकारी ने सुरक्षाबलों को आतंकियों के ठिकाने तक पहुंचाया।


सर्जिकल ऑपरेशन की सफलता

जैसे ही आतंकियों की गतिविधियों की पुष्टि हुई, राष्ट्रीय राइफल्स और पैरा स्पेशल फोर्सेज की टीमें महादेव पहाड़ी की ओर बढ़ीं। निगरानी ड्रोन ने तीनों आतंकियों की स्थिति को कैप्चर किया और फिर सटीक निशानेबाज़ी के साथ ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। इस प्रकार तीनों आतंकवादियों का खात्मा किया गया, जो एक रणनीतिक जीत थी।


आम जनता के लिए क्या बदला?

यह सवाल उठता है कि इस बड़े ऑपरेशन का आम जनता पर क्या प्रभाव पड़ा? सीधा उत्तर है — विश्वास। आतंकवादी अब कश्मीरियों को केवल एक राजनीतिक औजार मानते थे, लेकिन अब जनता जान चुकी है कि अगर वे एकजुट हों, तो आतंक का चेहरा मिट सकता है। दाचीगाम में मिली इस सफलता ने यह स्पष्ट किया है कि हर संदिग्ध गतिविधि पर पैनी नज़र रखी जाएगी।


घाटी में सुरक्षा का माहौल

पहलगाम हमले के बाद घाटी में जो भय का माहौल था, वह अब कुछ हद तक शांत हो गया है। लोग फिर से अपने व्यवसाय शुरू कर रहे हैं और पर्यटकों की संख्या भी धीरे-धीरे बढ़ रही है। इस बार लोगों के चेहरे पर आत्मविश्वास है, जो दर्शाता है कि वे आतंक को बर्दाश्त नहीं करेंगे।