दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर बहस: क्या हरित पटाखों की अनुमति मिलेगी?

पटाखों पर बहस का नया दौर
त्यौहारों के नजदीक आते ही दिल्ली-एनसीआर में पटाखों के उपयोग को लेकर चर्चा फिर से तेज हो गई है। दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश ने सुप्रीम कोर्ट से निवेदन किया है कि दिवाली और अन्य अवसरों पर नियंत्रित तरीके से हरित पटाखों को जलाने की अनुमति दी जाए।
संतुलन बनाने का सुझाव
एनसीआर के राज्यों की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच के समक्ष कहा कि त्योहारों के दौरान परंपराओं और पर्यावरण का ध्यान रखते हुए एक संतुलित व्यवस्था की आवश्यकता है।
समय सीमा का प्रस्ताव
प्रस्ताव में यह उल्लेख किया गया है कि दिवाली के अवसर पर रात 8 से 10 बजे तक हरित पटाखों को जलाने की अनुमति होनी चाहिए। क्रिसमस और नए साल की पूर्व संध्या पर 11:55 से 12:30 बजे तक पटाखे चलाने की अनुमति दी जा सकती है। इसके अलावा, गुरुपर्व पर सुबह 4 से 5 बजे और रात 9 से 10 बजे तक पटाखे फोड़ने का समय निर्धारित किया गया है।
शादियों और समारोहों में हरित पटाखों की मांग
मेहता ने यह भी कहा कि शादियों और व्यक्तिगत समारोहों में भी नियमों के तहत हरित पटाखों के उपयोग की अनुमति होनी चाहिए। इसके लिए बिक्री और खरीद पर कड़ी निगरानी आवश्यक होगी।
बिक्री पर सख्त नियंत्रण
पर्यावरण नियमों को लागू करने के लिए कई सुझाव दिए गए हैं। इनमें केवल लाइसेंसधारी व्यापारियों को पटाखे बेचने की अनुमति देना, संयुक्त पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर पटाखों की बिक्री पर रोक लगाना शामिल है। इन नियमों को लागू करने की जिम्मेदारी एनसीआर राज्यों, दिल्ली सरकार और पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) की होगी।
सुप्रीम कोर्ट का रुख
सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि दिल्ली-एनसीआर में बिना अनुमति पटाखों की बिक्री नहीं होगी। 26 सितंबर को, कोर्ट ने केवल प्रमाणित निर्माताओं को हरित पटाखे बनाने की अनुमति दी थी। अदालत ने केंद्र सरकार से भी कहा था कि पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध के निर्णय पर पुनर्विचार किया जाए।
प्रदूषण की चिंता
दिल्ली-एनसीआर हर साल सर्दियों में दुनिया के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में से एक माना जाता है। इस दौरान पराली और पटाखों का प्रभाव हवा को और भी जहरीला बना देता है। कोर्ट का कहना है कि त्योहारों की परंपरा महत्वपूर्ण है, लेकिन लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करना भी उतना ही आवश्यक है। फिलहाल इस मामले की सुनवाई जारी है और अगली तारीख पर कोर्ट अंतिम निर्णय सुना सकता है।