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दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का संकट: क्या ग्रैप-3 उपायों का असर नहीं हो रहा?

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है, जहां ग्रैप-3 उपायों का प्रभाव नजर नहीं आ रहा है। हालात और भी खराब हो गए हैं, जब कई क्षेत्रों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के पार पहुंच गया है। पर्यावरण मंत्री ने निर्माण गतिविधियों और धूल भरी सड़कों को प्रदूषण का मुख्य कारण बताया है। सर्दियों में प्रदूषण के बढ़ने की समस्या भी लगातार बनी हुई है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है और ठंड के मौसम का क्या असर है।
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दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का संकट: क्या ग्रैप-3 उपायों का असर नहीं हो रहा?

दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण


दिल्ली और एनसीआर में वायु गुणवत्ता लगातार बिगड़ती जा रही है, जिससे लोगों की सेहत पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। सख्त नियमों और नियंत्रण उपायों के बावजूद, दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम में प्रदूषण का स्तर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार की सुबह पूरे क्षेत्र में घना स्मॉग छाया रहा, जिससे लोगों को सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन और गले में खराश जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा।


एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) की स्थिति

ग्रैप-3 लागू होने के बावजूद, स्थिति में कोई सुधार नहीं दिख रहा है। दिल्ली के कई क्षेत्रों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के पार पहुंच गया है, जो 'गंभीर' श्रेणी में आता है। सोमवार को राजधानी का औसत AQI 360 रहा, जो 'बहुत खराब' श्रेणी को दर्शाता है।


सोमवार सुबह 6 बजे बवाना में AQI स्तर 427 दर्ज किया गया, जबकि अन्य क्षेत्रों में भी AQI 400 के ऊपर पहुंच गया।


डीटीयू: 403


जहांगीरपुरी: 407


नरेला: 406


रोहिणी: 404


वजीरपुर: 401


मुंडका में 396, नेहरू नगर में 389, सोनिया विहार में 380, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के पास 386 और द्वारका में 381 AQI रिकॉर्ड किया गया। प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण लोगों में खांसी, सांस फूलना और गले में जलन जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।


ग्रैप-3 के प्रभाव का सवाल

दिल्ली-एनसीआर में लागू ग्रैप-3 की पाबंदियां भी बेअसर साबित हो रही हैं, जिससे प्रदूषण का स्तर जस का तस बना हुआ है। इस पर सवाल उठ रहा है कि प्रदूषण को कम कैसे किया जा सकता है।


दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि राजधानी में प्रदूषण मुख्य रूप से निर्माण गतिविधियों, धूल भरी सड़कों और यातायात की भीड़ से उत्पन्न पीएम10 उत्सर्जन के कारण बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार तेजी से प्रदूषण हॉटस्पॉट्स की पहचान कर रही है।


मंत्री के अनुसार, शहर की सफाई व्यवस्था और सड़कों की स्थिति में सुधार की आवश्यकता है, जबकि स्थानीय रखरखाव की खामियां वायु गुणवत्ता में गिरावट का बड़ा कारण बनी हुई हैं। रविवार को भी वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' श्रेणी में रही और 24 घंटे का औसत AQI 377 दर्ज किया गया।


सर्दियों में प्रदूषण का बढ़ना

दिल्ली में सर्दियों की शुरुआत होते ही प्रदूषण बढ़ने लगता है, और पिछले कई वर्षों से यही स्थिति बनी हुई है। धूल और धुंध के मिश्रण से हवा में जहरीले कणों की संख्या बढ़ती जा रही है।


पर्यावरण मंत्री ने कहा कि 'स्वच्छ दिल्ली की लड़ाई 10 प्रमुख प्रदूषणकारी कारकों के खिलाफ है।' पराली जलाने से भी प्रदूषण बढ़ता है, लेकिन बुवाई का मौसम शुरू होने के बाद इसका प्रभाव धीरे-धीरे कम हो जाएगा।


इस साल 11 नवंबर को राजधानी का औसत AQI पहली बार 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गया, जो इससे पहले दिसंबर 2024 में दर्ज किया गया था।


दिल्ली में ठंड का असर

दिल्ली में ठंड ने भी दस्तक दे दी है। रविवार को न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 4.5 डिग्री कम है और पिछले तीन वर्षों में नवंबर का सबसे ठंडा दिन रहा।


मौसम विभाग के अनुसार, यह तापमान 29 नवंबर 2022 के बाद नवंबर महीने का सबसे कम था, जब पारा 7.3 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया था। आईएमडी ने सोमवार को हल्का कोहरा रहने और अधिकतम तापमान 25 डिग्री तथा न्यूनतम तापमान 9 डिग्री के आसपास रहने की संभावना जताई है।