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दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता गंभीर स्तर पर, अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ी

दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक एक बार फिर गंभीर स्तर पर पहुंच गया है, जिससे अस्पतालों में मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद जोखिमभरी है। मौसम विभाग ने आगामी दिनों में प्रदूषण से राहत की कोई उम्मीद नहीं जताई है। जानें इस गंभीर स्थिति के बारे में और क्या उपाय किए जा रहे हैं।
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दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता गंभीर स्तर पर, अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ी

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति

नोएडा: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) एक बार फिर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद के अधिकांश मॉनिटरिंग स्टेशनों पर एयर क्वालिटी 'गंभीर' श्रेणी में दर्ज की जा रही है। कई स्थानों पर एक्यूआई 400 से 450 के बीच पहुंच गया है, जबकि कुछ स्थानों पर यह 400 के पार भी निकल चुका है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 1 दिसंबर से 5 दिसंबर तक हवा की गुणवत्ता लगातार बेहद खराब से गंभीर श्रेणी में बनी हुई है।


नोएडा के सेक्टर 125, 62 और 116 में क्रमशः एक्यूआई 381, 308 और 369 दर्ज किया गया है। ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क–III और नॉलेज पार्क–V में स्थिति और भी चिंताजनक है, जहां सूचकांक 304 और 358 के आसपास रहा। गाज़ियाबाद में लोनी में एक्यूआई 403 तक पहुंच गया, जबकि इंदिरापुरम और संजय नगर में भी सूचकांक 300 के ऊपर दर्ज किया गया। दिल्ली के कई क्षेत्रों जैसे मुनडका, नजफगढ़, नेहरू नगर, ओखला, पंजाबी बाग और पटपड़गंज में एक्यूआई 340 से 380 तक रिकॉर्ड किया गया है। यह स्तर स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा माना जाता है।


मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले दिनों में प्रदूषण से राहत की कोई उम्मीद नहीं है। तापमान में भी कोई खास बदलाव नहीं होगा और सुबह का कोहरा बना रहेगा। 6 दिसंबर से 11 दिसंबर तक न्यूनतम तापमान 10–12 डिग्री और अधिकतम तापमान 23–24 डिग्री के आसपास रहने का अनुमान है। हवा की रफ्तार कम होने और प्रदूषक कणों के ऊपर उठने की क्षमता घटने के कारण स्मॉग की स्थिति और बिगड़ सकती है। प्रदूषण का सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर दिखने लगा है। अस्पतालों में आंखों में जलन, गले में खराश, सांस लेने में तकलीफ और अस्थमा के बढ़े मामलों की रिपोर्ट की जा रही है।


डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और सांस से जुड़ी बीमारियों वाले लोगों के लिए यह समय बेहद जोखिमभरा है। विशेषज्ञ सलाह दे रहे हैं कि लोग सुबह और शाम के समय बाहर निकलने से बचें। प्रदूषण नियंत्रण एजेंसियों ने निर्माण कार्यों, कचरा जलाने और धूल फैलाने वाली गतिविधियों पर सख्त निगरानी बढ़ा दी है, लेकिन वायु गुणवत्ता में सुधार तभी संभव होगा जब हवा की रफ्तार बढ़े या बारिश जैसी कोई मौसमीय घटना हो। तब तक एनसीआर की हवा 'जहरीली' बनी रहने की पूरी संभावना है।