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दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण: क्या है स्थिति और क्या हैं उपाय?

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर बनी हुई है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स लगातार 'बेहद खराब' श्रेणी में है। हाल ही में क्लाउड सीडिंग के प्रयोग से कुछ सुधार देखने को मिला है, लेकिन प्रदूषण के अन्य कारण जैसे पराली जलाना भी समस्या को बढ़ा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक मौसम में बदलाव नहीं होता, राहत मिलना मुश्किल है। इस बीच, एयर प्यूरीफायर की मांग में भारी वृद्धि हुई है। जानें इस मुद्दे पर और क्या चल रहा है।
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दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण: क्या है स्थिति और क्या हैं उपाय?

दिल्ली की हवा में ज़हर: स्थिति गंभीर


नई दिल्ली: दिवाली के बाद भी दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता में सुधार नहीं हो रहा है। राजधानी में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, और 17वें दिन भी एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 'बेहद खराब' श्रेणी में बना हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, आनंद विहार में AQI 409, वजीरपुर में 394, अशोक विहार में 385, आईटीओ पर 365 और आईजीआई एयरपोर्ट पर 316 दर्ज किया गया।


थोड़ा सुधार, लेकिन स्थिति चिंताजनक

विशेषज्ञों का कहना है कि हवा की दिशा में मामूली बदलाव और गति में थोड़ी वृद्धि से कुछ राहत मिली है, लेकिन स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है। जब हवा की गति 8 किलोमीटर प्रति घंटे से कम होती है, तो प्रदूषक तत्व ऊपर नहीं उठ पाते, जिससे स्मॉग की मोटी परत बन जाती है। इसके कारण सुबह और शाम के समय दृश्यता कम हो जाती है और लोगों को सांस लेने में कठिनाई होती है।


प्रदूषण कम करने के लिए क्लाउड सीडिंग

दिल्ली सरकार ने प्रदूषण को कम करने के लिए तकनीकी उपायों की दिशा में कदम उठाए हैं। हाल ही में मयूर विहार और बुराड़ी जैसे क्षेत्रों में क्लाउड सीडिंग का परीक्षण किया गया। सरकार का दावा है कि इस प्रयोग से पीएम10 के स्तर में 41.9% तक की कमी आई है और वायु गुणवत्ता में सुधार देखा गया है।


दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि बादलों में नमी कम होने के बावजूद क्लाउड सीडिंग सफल रहा। यह केवल एक तकनीक नहीं, बल्कि प्रदूषण नियंत्रण की हमारी बहुआयामी रणनीति का हिस्सा है। सड़क सफाई, वाहन उत्सर्जन पर नियंत्रण और अपशिष्ट प्रबंधन पर भी समानांतर रूप से काम जारी है।


एयर प्यूरीफायर की बढ़ती मांग

दिवाली के बाद से दिल्ली-एनसीआर में एयर प्यूरीफायर की बिक्री में भारी वृद्धि हुई है। इलेक्ट्रॉनिक्स बाजारों में इन उपकरणों की मांग इतनी बढ़ गई है कि कई दुकानों में स्टॉक खत्म हो गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अब साफ हवा में सांस लेना दिल्लीवासियों के लिए एक नई लक्ज़री बन गया है।


पराली जलाने से प्रदूषण में वृद्धि

दिल्ली की बिगड़ती हवा के पीछे एक बड़ी वजह पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की बढ़ती घटनाएं हैं। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) के आंकड़ों के अनुसार, बुधवार को इस सीजन की सबसे ज़्यादा 283 घटनाएं दर्ज की गईं। 15 सितंबर से अब तक कुल 1,216 पराली जलाने के मामले सामने आए हैं। तरनतारन, अमृतसर, संगरूर और फिरोजपुर जैसे जिलों में किसानों ने सरकार की अपील के बावजूद खेतों में आग लगाई, जिससे प्रदूषण का स्तर और बढ़ गया।


कब मिलेगी राहत?

मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक हवा की गति और दिशा में बड़ा बदलाव नहीं होता या बारिश नहीं होती, तब तक दिल्ली को प्रदूषण से राहत मिलना मुश्किल है। आने वाले कुछ दिनों में AQI के 'बहुत खराब' से 'गंभीर' श्रेणी में बने रहने की संभावना है। लोगों को सलाह दी गई है कि वे सुबह-शाम के समय खुले में व्यायाम करने से बचें, मास्क पहनें और घरों के अंदर एयर प्यूरीफायर या पौधों का उपयोग करें ताकि प्रदूषण के असर को कम किया जा सके।