दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख: टोल प्लाजा पर उठाए गए सवाल
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का महत्व
नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर 2025 को एक महत्वपूर्ण सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली के आसपास स्थित नौ टोल प्लाजा को ट्रैफिक जाम का एक बड़ा कारण बताया। कोर्ट ने सुझाव दिया कि इन टोल प्लाजा को अस्थायी रूप से बंद करने या अन्य स्थानों पर स्थानांतरित करने पर विचार किया जाए।
CJI की कड़ी टिप्पणी
सुनवाई के दौरान CJI सूर्यकांत ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, "हम टोल के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन 31 जनवरी तक टोल फ्री करने का उपाय खोजें। क्या हम कल को केवल पैसे के लिए कनॉट प्लेस में भी टोल प्लाजा स्थापित कर देंगे?" यह टिप्पणी टोल से होने वाली आय को प्रदूषण से अधिक महत्व देने के संदर्भ में थी।
टोल प्लाजा पर कोर्ट के निर्देश
कोर्ट ने एमसीडी को निर्देश दिया कि वह एक सप्ताह के भीतर यह तय करे कि क्या इन नौ टोल प्लाजा को कुछ समय के लिए बंद किया जा सकता है। एनएचएआई को इनकी जगह बदलने पर विचार करने का आदेश दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि हर साल 1 अक्टूबर से 31 जनवरी तक टोल वसूली को रोका जाए, क्योंकि सर्दियों में प्रदूषण अपने उच्चतम स्तर पर होता है। इसके साथ ही, टोल से होने वाली आय और खर्च की जांच करने का भी निर्देश दिया गया।
प्रदूषण के समाधान की आवश्यकता
कोर्ट ने प्रदूषण को एक वार्षिक समस्या बताते हुए कहा कि अब केवल नियम बनाने से काम नहीं चलेगा, बल्कि उन्हें सख्ती से लागू करना होगा। मौजूदा उपायों को 'कुल विफलता' करार दिया गया। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को दीर्घकालिक और प्रभावी रणनीति विकसित करने का निर्देश दिया गया।
दिल्ली सरकार के स्कूल बंद करने के निर्णय में हस्तक्षेप न करने का निर्णय लिया गया, क्योंकि सर्दी की छुट्टियां निकट हैं। यह सुनवाई दिल्ली की वायु को साफ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि स्वास्थ्य को कमाई से अधिक प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
