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दिल्ली कार बम विस्फोट: जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मॉड्यूल में गहराते मतभेदों का खुलासा

दिल्ली में लाल किला कार बम विस्फोट की जांच में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मॉड्यूल के बीच गंभीर मतभेदों का खुलासा हुआ है। जांच में पता चला है कि उमर नबी की विचारधारा अन्य सदस्यों से भिन्न थी, जिससे समूह में दूरी बढ़ी। इसके अलावा, फंडिंग के विवाद और अफगानिस्तान में प्रशिक्षण की असफलता ने भी स्थिति को और जटिल बना दिया। इस लेख में हम इन सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
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दिल्ली कार बम विस्फोट: जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मॉड्यूल में गहराते मतभेदों का खुलासा

नई दिल्ली में कार बम विस्फोट की जांच में नया मोड़


नई दिल्ली: लाल किला कार बम विस्फोट की जांच में सुरक्षा एजेंसियों ने एक महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के आतंकी समूह के भीतर विचारधारा, फंड के उपयोग और हमले की रणनीतियों को लेकर गंभीर मतभेद थे। इन मतभेदों की तीव्रता इतनी बढ़ गई कि समूह के तीन सदस्य, मुजम्मिल गनई, अदील राथर और मौलवी इरफान वागे, आत्मघाती हमलावर डॉ. उमर उन नबी से कई मुद्दों पर सहमत नहीं थे।


उमर नबी का अलगाव

सूत्रों के अनुसार, उमर की सोच अन्य सदस्यों से भिन्न दिशा में जा चुकी थी। इस बदलाव के कारण उसने अक्टूबर की शुरुआत में अदील राथर की शादी में शामिल होना भी जरूरी नहीं समझा। जांच एजेंसियों का मानना है कि यह दूरी धीरे-धीरे बढ़ी और हमले से पहले तक यह मतभेद चरम पर पहुंच गया।


ISIS और अल-कायदा के बीच वैचारिक भिन्नता

आंतरिक मतभेद की जड़ विचारधारा थी। रिपोर्ट के अनुसार, उमर नबी ISIS की विचारधारा से प्रभावित था, जो खिलाफत की स्थापना और नजदीकी दुश्मनों को निशाना बनाने पर केंद्रित है। कश्मीर में, वह बुरहान वानी और जाकिर मूसा की 'विरासत का उत्तराधिकारी' मानता था।


इसके विपरीत, अन्य सदस्य अल-कायदा की सोच के करीब थे, जो पश्चिमी प्रभाव पर हमले और वैश्विक स्तर पर दुश्मनों को निशाना बनाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। यही वैचारिक भिन्नता समूह को दो हिस्सों में बांट रही थी।


अफगानिस्तान में प्रशिक्षण की असफलता

जांच में यह भी सामने आया कि वागे को छोड़कर अन्य तीन सदस्यों ने अफगानिस्तान जाकर प्रशिक्षण लेने की कोशिश की थी, लेकिन वे सफल नहीं हो सके। असफल लौटने के बाद, समूह ने भारत में ही हमले के लक्ष्य खोजने का निर्णय लिया। इसी दौरान, उमर नबी ने 2023 से आईईडी बनाने पर रिसर्च शुरू कर दी थी।


फंडिंग को लेकर विवाद

मतभेद का एक और बड़ा कारण मॉड्यूल की फंडिंग थी। एजेंसियों के अनुसार, धन का मुख्य स्रोत डॉ. शाहीन शाहिद अंसारी था, जिसे गिरफ्तार आरोपियों में शामिल मुजम्मिल गनई का सहयोगी बताया गया है। दावा किया गया है कि शाहीन ने संगठित क्राउडफंडिंग के जरिए लगभग 20 लाख रुपये जुटाए और उसे जमात-उल-मोमिनात जेएम के महिला नेटवर्क से जोड़ा गया था।


जांच टीम को संदेह है कि उसने फरीदाबाद में मॉड्यूल के लिए आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


काजीगुंड की बैठक

अक्टूबर में मौलवी इरफान वागे की गिरफ्तारी के बाद, उमर ने 18 अक्टूबर को काजीगुंड जाकर अन्य सदस्यों के साथ मतभेद दूर करने की कोशिश की। माना जा रहा है कि इसी बैठक के बाद समूह एक दिशा में एकजुट हुआ और लगभग तीन सप्ताह बाद दिल्ली में हुआ विस्फोट इसी रणनीति का हिस्सा था।


विस्फोटक सामग्री की बरामदगी

वागे की गिरफ्तारी ने पुलिस को मॉड्यूल के अन्य सदस्यों और 2,900 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक सामग्री तक पहुंचाया। इसमें रसायन, प्रज्वलनशील पदार्थ, इलेक्ट्रॉनिक सर्किट, तार, रिमोट कंट्रोल और कई आईईडी बनाने के उपकरण शामिल थे। जांचकर्ताओं के अनुसार, फरीदाबाद के कमरे की चाबियाँ उमर और मुजम्मिल गनई दोनों के पास थीं, और उमर वहीं रसायनों पर प्रयोग कर रहा था।