दिल्ली की अदालत ने जवाद अहमद सिद्दीकी को ईडी की हिरासत में भेजा, जानें पूरा मामला
जवाद अहमद सिद्दीकी की गिरफ्तारी
दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को अल-फलाह यूनिवर्सिटी के संस्थापक जवाद अहमद सिद्दीकी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में 13 दिनों के लिए भेज दिया है। ईडी का आरोप है कि सिद्दीकी ने छात्रों और उनके अभिभावकों को धोखे में रखकर लगभग 415 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की है और उनके खाड़ी देशों में भागने की आशंका है, जहां उनके परिवार के सदस्य रहते हैं।
सिद्दीकी के वकील का बयान
सिद्दीकी के वकील ने कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार हैं। गिरफ्तारी से पहले, मंगलवार को ईडी ने अल-फलाह समूह के कई कार्यालयों और विश्वविद्यालय के स्थानों पर छापेमारी की। यह विश्वविद्यालय विशेष रूप से 10 नवंबर को लाल किले के पास हुए आत्मघाती हमले के बाद जांच के दायरे में आई, क्योंकि उस हमले से जुड़े कई आतंकवादी अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े पाए गए थे।
सिद्दीकी की हिरासत की अवधि
सिद्दीकी को एडिशनल सेशंस जज शीतल चौधरी प्रधान के समक्ष पेश किया गया। ईडी ने उनकी 14 दिन की हिरासत की मांग की, जिसे अदालत ने 1 दिसंबर तक स्वीकार कर लिया। रिमांड आवेदन में ईडी ने कहा कि सिद्दीकी के पास भारी आर्थिक संसाधन हैं और उनका परिवार गल्फ में होने के कारण वह फरार हो सकते हैं।
ईडी की जांच और आरोप
एजेंसी के अनुसार, सिद्दीकी और उनके द्वारा चलाए जा रहे अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट ने छात्रों और अभिभावकों को NAAC और UGC की मान्यता के बारे में गलत जानकारी देकर ₹415.10 करोड़ की राशि जुटाई। अदालत ने यह भी माना कि आरोपी के खिलाफ गंभीर आर्थिक अपराधों का इतिहास है और उनकी गिरफ्तारी न होने पर वह संपत्तियों को इधर-उधर कर सकते हैं या जांच में बाधा डाल सकते हैं।
ईडी ने दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की दो एफआईआर का भी संज्ञान लिया है। इन एफआईआर में आरोप है कि विश्वविद्यालय ने अपनी मान्यता को फर्जी तरीके से दिखाकर छात्रों को दाखिला दिलाने के लिए आकर्षित किया। एजेंसी का दावा है कि विश्वविद्यालय ने NAAC और UGC प्रमाणपत्रों को जालसाजी से तैयार किया और धोखाधड़ीपूर्ण तरीकों से 400 करोड़ रुपये से अधिक राशि एकत्र की, जिसे सिद्दीकी ने अपने व्यक्तिगत और निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया।
