दिल्ली की वायु गुणवत्ता संकट: लखनऊ में क्रिकेट मैच रद्द
दिल्ली में वायु प्रदूषण का संकट
लखनऊ में हाल ही में हुई घटना को दिल्ली सरकार के प्रदूषण और धुंध के संदर्भ में समझा जा सकता है। पिछले दो महीनों से दिल्ली में वायु गुणवत्ता में लगातार गिरावट और सूचकांक में तेजी से वृद्धि की खबरें आ रही थीं। इस स्थिति का खामियाजा दिल्ली के स्कूलों और वहां पढ़ने वाले बच्चों को भुगतना पड़ा, जिससे बच्चों को स्कूल की सीमेंट दीवारों से बाहर निकलकर पेड़-पौधों के बीच खेलने पर रोक लगा दी गई।
लखनऊ में क्रिकेट मैच का रद्द होना
भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच लखनऊ के एकाना स्टेडियम में होने वाला बीस-बीस मैच धुंध, जहरीली हवा और अपर्याप्त रोशनी के कारण रद्द कर दिया गया। हजारों क्रिकेट प्रेमी और कई खिलाड़ी इस प्रदूषण के बीच मैच का इंतजार कर रहे थे। दिल्ली के बाद अब उत्तर भारत के कई शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हो गए हैं। यह स्थिति स्वार्थ के कारण बनी है, जिसमें प्राकृतिक आवश्यकताओं को नजरअंदाज किया गया है।
पर्यावरण की जिम्मेदारी
शहरों के विकास के लिए बनाई गई नीतियों ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है। यदि समाज पर प्रदूषण को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी है, तो सत्ता पर भी प्रदूषण फैलने से रोकने का दायित्व है। क्या हम पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा पा रहे हैं? क्या सत्ता अपने कर्तव्यों को समझती है? हमें बढ़ते एक्यूआई के संकट को समझदारी और विवेक से सुलझाना होगा।
जनता और सत्ता का विकास
समाज की जेन-ज़ी पीढ़ी को पिछले पीढ़ियों की गलतियों को समझकर सुधारने की जिम्मेदारी उठानी होगी। हमें अपने चार-पहिया सपनों के साथ-साथ सार्वजनिक परिवहन की संस्कृति को भी सहेजना होगा। लगातार घटते जंगलों और कटते पेड़ों को बचाने के लिए हमें प्रयास करने होंगे। सत्ता का वैभव केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अन्य शहरों में भी फैल रहा है।
भविष्य की जिम्मेदारी
आज के समय में विकास की चाहत सत्ता और जनता दोनों में है। लेकिन प्राकृतिक तंत्र को स्वार्थ के तंत्र में बदलने का प्रयास किया जा रहा है। क्या हम बिना लोगों के व्यवहार को समझे, दिल्ली, लखनऊ या इंदौर को सिंगापुर और न्यूयॉर्क बना सकते हैं? यह सवाल आज भी अनुत्तरित है।
बच्चों का भविष्य
लखनऊ में हुई घटना को दिल्ली सरकार के प्रदूषण से जोड़ा जा सकता है। पिछले दो दशकों से ठंड के मौसम में बच्चों को खेलने से रोका जा रहा है। माता-पिता की चिंता और न्यायालय के दबाव के कारण स्कूल अपनी समझ खो रहे हैं। आईपीएल टीम दिल्ली कैपिटल्स द्वारा आयोजित स्कूल क्रिकेट कप के दौरान एक प्रिंसिपल ने कहा कि स्वस्थ बच्चों के लिए प्रदूषण में रहना बेहतर नहीं है।
समाज की जिम्मेदारी
क्या माता-पिता, सरकारी अधिकारी या न्यायालय इस स्थिति को समझेंगे? यदि नहीं, तो बच्चों को खुद ही प्रकृति के साथ जीने का तरीका सीखना होगा। समाज में विवेक हमेशा से रहा है और आगे भी रहेगा।
