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दिल्ली के पूर्व मंत्रियों पर स्कूल निर्माण में भ्रष्टाचार का आरोप

दिल्ली के पूर्व मंत्रियों मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन पर स्कूलों के निर्माण में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। एंटी करप्शन ब्यूरो ने उन्हें समन जारी किया है, जिसमें 12,748 कक्षाओं के निर्माण में 2000 करोड़ रुपये के घोटाले का मामला शामिल है। दोनों नेता पहले भी विभिन्न मामलों में जेल जा चुके हैं और वर्तमान में जमानत पर हैं। इस नए मामले में उनकी मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं।
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दिल्ली के पूर्व मंत्रियों पर स्कूल निर्माण में भ्रष्टाचार का आरोप

दिल्ली के पूर्व मंत्रियों की नई मुसीबत


स्कूलों में निर्माण में भ्रष्टाचार का मामला


दिल्ली की पूर्व आम आदमी पार्टी सरकार के दो प्रमुख नेताओं, सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया, एक बार फिर से मुश्किल में हैं। ये दोनों नेता पहले भी विभिन्न मामलों में जेल की सजा काट चुके हैं। अब, वे एक नए घोटाले में फंसते हुए नजर आ रहे हैं। सत्येंद्र जैन मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जेल जा चुके हैं, जबकि मनीष सिसोदिया कथित शराब नीति के तहत सलाखों के पीछे रह चुके हैं। वर्तमान में, दोनों जमानत पर बाहर हैं।


एसीबी द्वारा समन जारी

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने दिल्ली सरकार के स्कूलों में कक्षाओं के निर्माण में कथित भ्रष्टाचार के मामले में मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को समन भेजा है। सत्येंद्र जैन को 6 जून को एसीबी कार्यालय में पेश होने के लिए कहा गया है, जबकि मनीष सिसोदिया को 9 जून को बुलाया गया है। यह मामला 12,748 कक्षाओं और भवनों के निर्माण में लगभग 2000 करोड़ रुपये के घोटाले से संबंधित है।


एसीबी के एक बयान में कहा गया है कि आम आदमी पार्टी के शासनकाल में 12,748 कक्षाओं और भवनों के निर्माण में भारी वित्तीय अनियमितता हुई है। यह परियोजना कथित तौर पर आम आदमी पार्टी से जुड़े ठेकेदारों को दी गई थी। निर्माण में लागत में वृद्धि और समय सीमा के भीतर काम पूरा न होने की शिकायतें आई हैं।


भ्रष्टाचार के आरोप

एसीबी द्वारा दर्ज मामले में इन नेताओं पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने दिल्ली सरकार के स्कूलों में कक्षाओं के निर्माण में वित्तीय अनियमितता की। आरोप है कि आम आदमी पार्टी से जुड़े ठेकेदारों को काम देकर वित्तीय गड़बड़ी की गई।


जांच एजेंसी का कहना है कि आम आदमी पार्टी की सरकार के दौरान 12,748 कक्षाओं का निर्माण किया गया था, जिसमें घटिया सामग्री का उपयोग किया गया, जबकि इसके लिए बेहतर निर्माण तकनीक की दर वसूली गई। इस मामले में भारी वित्तीय गड़बड़ी की गई है।