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दिल्ली के प्रबंधन संस्थान में छात्राओं के यौन शोषण का मामला

दिल्ली स्थित श्री शारदा भारतीय प्रबंधन संस्थान में छात्राओं के यौन शोषण के गंभीर आरोप सामने आए हैं। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की छात्राओं को शोषण का शिकार बनाया गया, जिसमें संस्थान के संस्थापक और अन्य कर्मचारी शामिल थे। जांच में पता चला है कि शोषण को छुपाने के लिए छात्राओं के दस्तावेज़ जब्त कर लिए गए थे। इस मामले ने शिक्षा के क्षेत्र में सुरक्षा के मुद्दे को उजागर किया है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और पुलिस की कार्रवाई के बारे में।
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दिल्ली में शिक्षा के नाम पर यौन शोषण का खुलासा

दिल्ली के श्री शारदा भारतीय प्रबंधन संस्थान (SRISIIM) में एक गंभीर घटना ने शैक्षणिक समुदाय को हिला कर रख दिया है। यहां छात्राओं के साथ यौन शोषण के आरोपों ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या धार्मिक और शैक्षणिक संस्थान अब सुरक्षित हैं? यह मामला उन छात्राओं से संबंधित है जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) से आती हैं और छात्रवृत्ति पर पढ़ाई कर रही थीं। पुलिस जांच में पता चला है कि संस्थान के संस्थापक स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती ने इन छात्राओं को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। आरोप है कि डीन और दो महिला कर्मचारियों की मिलीभगत से यह शोषण लंबे समय से चल रहा था।


सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि चैतन्यानंद का कार्यालय, जो संस्थान के भूतल पर स्थित है, शोषण का मुख्य केंद्र बना हुआ था। जांच में यह सामने आया है कि इसी कमरे में पीड़ित छात्राओं को बुलाकर धमकाया गया और उनका यौन शोषण किया गया। शिकायतों के अनुसार, शोषण को छुपाने के लिए छात्राओं के मूल शैक्षणिक दस्तावेज़ जब्त कर लिए गए थे, जिससे उनकी पढ़ाई रुक गई और संस्थान छोड़ने की संभावनाएं समाप्त हो गईं।


पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि चैतन्यानंद ने एक नई BMW कार खरीदने के बाद कुछ छात्राओं को हरिद्वार ले जाने का बहाना बनाया। लेकिन वापसी के दौरान इन छात्राओं के साथ कथित दुर्व्यवहार हुआ। इस यात्रा में डीन और अन्य महिला कर्मचारी भी शामिल थीं।


इस मामले की शुरुआत तब हुई जब 1 अगस्त को वायुसेना मुख्यालय के शिक्षा निदेशालय को एक ग्रुप कैप्टन स्तर के अधिकारी के माध्यम से एक ईमेल प्राप्त हुआ, जिसमें कई छात्रों की शिकायतें थीं। 23 जुलाई को पहली FIR दर्ज की गई थी, जिसके बाद चैतन्यानंद की पावर ऑफ अटॉर्नी रद्द कर दी गई। 4 और 5 अगस्त को पुलिस को 300 से अधिक पन्नों के दस्तावेज सौंपे गए, जिसमें व्यवस्थित शोषण के प्रमाण शामिल थे।