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दिल्ली के स्वामी चैतन्यानंद पर यौन शोषण के गंभीर आरोप

दिल्ली के शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट में स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती पर यौन शोषण के गंभीर आरोप लगे हैं। पुलिस की जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जिसमें स्वामी के अजीब नियम और फर्जी विजिटिंग कार्ड शामिल हैं। छात्राओं को विदेश यात्रा और नौकरी के अवसर का लालच देकर फंसाने का आरोप है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और क्या है स्वामी का असली चेहरा।
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दिल्ली के स्वामी चैतन्यानंद पर यौन शोषण के गंभीर आरोप

स्वामी चैतन्यानंद का मामला

स्वामी चैतन्यानंद: दिल्ली के शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट की कई छात्राओं के साथ यौन शोषण के आरोप में स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती के खिलाफ रोज नए खुलासे हो रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद पुलिस की जांच में जो तथ्य सामने आ रहे हैं, वे किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं हैं। फरारी के दौरान, चैतन्यानंद ने न केवल अपनी पहचान बदली, बल्कि होटलों में रहने के लिए अजीब नियम भी बनाए।


आगरा के ताजगंज क्षेत्र में जिस होटल से चैतन्यानंद को पकड़ा गया, वहां उसने रूम नंबर 101 बुक किया था। बाबा ने होटल में किसी को भी आने की अनुमति नहीं दी थी। उसने हाउसकीपिंग स्टाफ को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि बिना उसकी इजाजत कोई भी कमरे में न आए। अगर कोई आना चाहता था, तो उसे नहा कर और चप्पल बाहर उतारकर कमरे में आने की अनुमति थी। चैतन्यानंद अक्सर सस्ते होटलों में छिपता था।


UN-ब्रिक्स के फर्जी विजिटिंग कार्ड


होटल के रिसेप्शनिस्ट ने बताया कि स्वामी शनिवार शाम 4 बजे वहां पहुंचा था। उसने रूम नंबर 101 बुक किया और सख्त निर्देश दिए कि बिना इजाजत कोई कमरे में न आए। यदि स्टाफ को अंदर जाना हो, तो पहले नहा-धोकर आना होगा और चप्पलें बाहर उतारनी होंगी। हाउसकीपिंग कर्मचारी इन अजीब नियमों से परेशान थे, लेकिन डर के मारे चुप रहे। स्वामी के पास UN-ब्रिक्स के फर्जी विजिटिंग कार्ड भी मिले, जो उसकी अंतरराष्ट्रीय साजिशों का संकेत देते हैं।


SRISIIM में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की छात्राओं को निशाना बनाया गया। आरोप है कि स्वामी चैतन्यानंद ने विदेश यात्रा, अच्छे नौकरी के अवसर और डिग्री पास करने का लालच देकर छात्राओं को अपने जाल में फंसाया। न मानने पर फेल करने की धमकी दी जाती थी। पुलिस ने 32 छात्राओं के बयान दर्ज किए, जिनमें से 17 ने यौन उत्पीड़न की पुष्टि की।


डीन और स्टाफ का सहयोग


जांच में एक 'लेडी गैंग' का पर्दाफाश हुआ। संस्थान की तीन महिलाएं, जिनमें डीन, वार्डन और अन्य स्टाफ शामिल थीं, स्वामी के सहयोगी बनीं। ये छात्राओं को रात में उसके कमरे बुलाने, अश्लील मैसेज डिलीट करवाने और दबाव बनाने का काम करती थीं। गर्ल्स हॉस्टल में लगे सीक्रेट कैमरों से निगरानी रखी जाती थी, और स्वामी के मोबाइल पर CCTV का एक्सेस था। एक पूर्व छात्रा ने बताया कि स्वामी गेरुआ वस्त्र, रुद्राक्ष माला और त्रिपुंड लगाकर साधु का भेष बनाता, लेकिन रात के अंधेरे में अपनी असलियत उजागर कर देता।


आरोप लगने के बाद स्वामी ने अपना नाम पार्थ सारथी से चैतन्यानंद सरस्वती में बदल लिया। वह फोन का इस्तेमाल न्यूनतम करता था और अपनी लोकेशन बार-बार बदलता था। ओडिशा का यह बाबा 12 साल से दिल्ली के आश्रम में रह रहा था। फरारी के दौरान कई सस्ते होटलों में रुका, लेकिन हर जगह साधु का ढोंग जारी रखा। आगरा के ताजगंज इलाके के एक छोटे होटल में 27 सितंबर की रात उसे गिरफ्तार किया गया।