दिल्ली-चंडीगढ़ में बढ़ती गर्मी और तूफानों का खतरा: नई स्टडी में खुलासा

दिल्ली-चंडीगढ़ में तापमान में वृद्धि
दिल्ली-चंडीगढ़ में तापमान में वृद्धि की भविष्यवाणी: हाल के दिनों में दिन के समय तापमान 40-42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है, जबकि शाम को तेज हवाओं के साथ बारिश से तापमान में 15-20 डिग्री की गिरावट देखी गई है। आईजर मोहाली के वैज्ञानिकों द्वारा की गई एक नई स्टडी में बताया गया है कि ग्रीनहाउस गैसों का बढ़ता उत्सर्जन और अनियंत्रित शहरीकरण इस समस्या के प्रमुख कारण हैं।
स्टडी में चेतावनी दी गई है कि यदि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ त्वरित कदम नहीं उठाए गए, तो अगले 75 वर्षों में उत्तर-पश्चिम भारत में जानलेवा गर्मी का खतरा छह गुना बढ़ सकता है।
गर्मी और तूफानों का संबंध
गर्मी और तूफानों के संकेत
यह अध्ययन 'नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट्स' में प्रकाशित हुआ है, जिसका नेतृत्व अर्थ और पर्यावरण विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. राजू अत्ताड़ा ने किया है। डॉ. कृष्ण कुमार शुक्ला, जो भारतीय मौसम विज्ञान विभाग में प्रोजेक्ट साइंटिस्ट हैं, इस अध्ययन के सह-लेखक हैं।
स्टडी में यूनिवर्सल थर्मल क्लाइमेट इंडेक्स और सीएमआईपी6 जलवायु मॉडल के डेटा का उपयोग करके गर्मी और उमस के बढ़ते खतरे का विश्लेषण किया गया है।
दिल्ली और चंडीगढ़ की स्थिति
स्टडी में बताया गया है कि उच्च उत्सर्जन वाले एसएसपी (शेयर्ड सोशियोइकोनॉमिक पाथवे) 5-8.5 परिदृश्य में वर्ष 2100 तक उत्तर-पश्चिम भारत में यूनिवर्सल थर्मल क्लाइमेट इंडेक्स (यूटीसीआई) 38 डिग्री सेल्सियस वाले अत्यधिक थर्मल तनाव वाले दिनों की संख्या छह गुना बढ़ सकती है।
दिल्ली सबसे अधिक असुरक्षित क्षेत्र है, जहां थर्मल असुविधा में 5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि और गर्मियों के तापमान में प्रति दशक 0.56 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी का अनुमान है। चंडीगढ़ की स्थिति भी इसी तरह की रहने की संभावना है।
गर्मी के स्वास्थ्य पर प्रभाव
डॉ. कृष्ण कुमार शुक्ला के अनुसार, यह केवल तापमान की बात नहीं है। गर्मी और नमी का संयोजन शरीर के लिए खतरनाक हो सकता है। इस स्थिति में शरीर पसीने के माध्यम से खुद को ठंडा नहीं रख पाता, जिससे डीहाइड्रेशन, हीट स्ट्रोक और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
बुजुर्ग, मजदूर और कम आय वाले लोग इस समस्या से सबसे अधिक प्रभावित होंगे। कृषि पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जिससे फसल चक्र में बाधा आएगी और पैदावार में कमी आएगी।
तूफानों की बढ़ती आवृत्ति
गर्मी से प्रेरित तूफानों की बढ़ती आवृत्ति
अप्रैल से जून तक चलने वाला हीटवेव सीजन अब पहले शुरू हो रहा है और अक्सर गर्मी से प्रेरित शाम के तूफानों के साथ समाप्त हो रहा है। डॉ. अत्ताडा के अनुसार, गर्मी और नमी से प्रेरित ये तूफान अब अधिक बार और अचानक आ रहे हैं।
स्थानीय स्तर पर उपाय
शहरों में हरियाली बढ़ाने की आवश्यकता
स्टडी में सुझाव दिया गया है कि स्थानीय स्तर पर जलवायु पूर्वानुमान प्रणाली, शहरी गर्मी कार्य योजना और एआई आधारित चेतावनी उपकरणों में निवेश करना आवश्यक है। इसके साथ ही, शहरों में हरियाली बढ़ाने और बेहतर शहरी योजना बनाने की आवश्यकता है।