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दिल्ली चिड़ियाघर में ऊदबिलावों की वापसी: 20 साल बाद नया आकर्षण

दिल्ली चिड़ियाघर में 20 साल बाद ऊदबिलावों की वापसी हो रही है, जिससे प्रजातियों की संख्या 96 हो जाएगी। सूरत चिड़ियाघर से स्मूद-कोटेड ऊदबिलावों की एक जोड़ी लाने की तैयारी पूरी हो चुकी है। इस पहल के तहत संगाई हिरणों का भी आदान-प्रदान किया जाएगा। चिड़ियाघर में बुनियादी ढांचे में सुधार के साथ-साथ नए आकर्षणों की भी योजना बनाई जा रही है। जानें इस विशेष पहल के बारे में और कैसे यह चिड़ियाघर की जैव विविधता को बढ़ाएगा।
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दिल्ली चिड़ियाघर में ऊदबिलावों की वापसी: 20 साल बाद नया आकर्षण

दिल्ली चिड़ियाघर में ऊदबिलावों की वापसी

करीब दो दशकों के लंबे इंतजार के बाद, दिल्ली चिड़ियाघर (नेशनल जूलॉजिकल पार्क) में ऊदबिलाव (Otters) फिर से दिखाई देंगे। 2004 में यहां अंतिम ऊदबिलाव की मृत्यु के बाद इस प्रजाति को पुनः लाने की कई कोशिशें असफल रही थीं। लेकिन अब सूरत चिड़ियाघर से ऊदबिलावों की एक जोड़ी को दिल्ली लाने की तैयारी पूरी हो चुकी है।


दिल्ली चिड़ियाघर को सूरत से स्मूद-कोटेड ऊदबिलाव (Smooth-coated Otters) की एक जोड़ी मिलने वाली है। यह पहल दोनों चिड़ियाघरों के बीच पशु-विनिमय कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसके तहत दिल्ली से दो जोड़ी संगाई हिरण (Sangai Deer) सूरत भेजे जाएंगे। दिल्ली चिड़ियाघर के निदेशक संजीत कुमार ने बताया कि उनके पास वर्तमान में 80 से अधिक संगाई हैं, जो किसी भी अन्य चिड़ियाघर में सबसे अधिक हैं। इसलिए कुछ हिरणों को सूरत भेजने का निर्णय लिया गया है।


मार्च में ट्रांसफर की योजना


यह ट्रांसफर पहले मार्च 2025 में निर्धारित किया गया था। उस समय दिल्ली से एक टीम सूरत गई थी, जहां उन्होंने ऊदबिलावों के रहन-सहन, खानपान और परिवहन की स्थिति का निरीक्षण किया था। हालांकि, मार्च में अत्यधिक गर्मी और यात्रा के लिए अनुकूल वातावरण न होने के कारण ट्रांसफर को स्थगित कर दिया गया। अधिकारियों के अनुसार, दोनों पक्षों के लिए सुरक्षित और आरामदायक माहौल सुनिश्चित करना आवश्यक है, तभी पशुओं की शिफ्टिंग संभव हो सकेगी।


प्रजातियों की संख्या में वृद्धि


ऊदबिलावों की वापसी से दिल्ली चिड़ियाघर में प्रजातियों की कुल संख्या 96 हो जाएगी। यह न केवल चिड़ियाघर की जैव विविधता को बढ़ाएगा, बल्कि दर्शकों के लिए भी एक नया आकर्षण बनेगा। निदेशक संजीत कुमार ने कहा, "2004 में हमने अपना आखिरी ऊदबिलाव खो दिया था, तब से अब तक यहां कोई ऊदबिलाव नहीं था। इस बार का विनिमय हमारे लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।"


बुनियादी ढांचे में सुधार


दिल्ली चिड़ियाघर में एक व्यापक पुनर्विकास योजना पर भी कार्य चल रहा है। इस योजना के तहत मुख्य द्वार पर एक मल्टी-यूटिलिटी प्लाजा, नई पार्किंग क्षेत्र, कांच की दीवारों वाले एनक्लोजर और अंडरवॉटर एक्वेरियम जैसी सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। इसका उद्देश्य न केवल पशुओं के रहने के स्तर को बेहतर बनाना है, बल्कि आगंतुकों के अनुभव को भी आधुनिक और दिलचस्प बनाना है।


यह ध्यान देने योग्य है कि 1959 में स्थापित दिल्ली चिड़ियाघर देश के सबसे प्रसिद्ध और अधिक देखे जाने वाले चिड़ियाघरों में से एक है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन आने वाला यह चिड़ियाघर अब नई प्रजातियों के आगमन की तैयारी कर रहा है, साथ ही संरचना और सुविधाओं के स्तर पर भी एक नए युग में प्रवेश कर रहा है। ऊदबिलावों की यह वापसी इसी विकास की एक सुंदर झलक है।