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दिल्ली दंगों के मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, 10 आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज

दिल्ली हाईकोर्ट ने फरवरी 2020 में हुए दंगों से जुड़े UAPA मामले में 10 आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं। इस फैसले के बाद सभी आरोपियों को जेल में रहना होगा। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि यह एक सोची-समझी साजिश थी, जिसका उद्देश्य भारत को वैश्विक स्तर पर बदनाम करना था। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और इसके पीछे की कहानी।
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दिल्ली दंगों के मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, 10 आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज

दिल्ली हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

नई दिल्ली: फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों से संबंधित UAPA मामले में, दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। अदालत ने जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद, शरजील इमाम सहित 10 आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं। इस निर्णय के बाद सभी आरोपियों को अभी जेल में रहना होगा।


हाईकोर्ट ने शरजील इमाम और उमर खालिद के अलावा मोहम्मद सलीम खान, शिफा-उर-रहमान, अतहर खान, मीरान हैदर, शादाब अहमद, अब्दुल खालिद सैफी और गुलफिशा फातिमा की जमानत याचिकाओं को भी रद्द कर दिया। जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शालिंदर कौर की पीठ ने इन 9 आरोपियों की याचिकाओं पर 9 जुलाई को निर्णय सुरक्षित रखा था, जिसे आज सुनाया गया। इसके अलावा, एक अन्य पीठ ने आरोपी तस्लीम अहमद की जमानत याचिका को भी खारिज कर दिया।


सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने जमानत याचिकाओं का कड़ा विरोध किया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि यह केवल एक दंगे का मामला नहीं है, बल्कि एक सुनियोजित साजिश है जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर भारत की छवि को धूमिल करना था। उन्होंने यह भी कहा कि लंबे समय तक जेल में रहना जमानत का आधार नहीं हो सकता।


उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य पर फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों का 'मास्टरमाइंड' होने का आरोप है। यह हिंसा नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान भड़की थी। इन दंगों में 53 लोगों की जान गई थी और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में UAPA और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।