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दिल्ली में आश्रम के बाबा पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप

दिल्ली के विवेक विहार में एक आश्रम के बाबा पर 17 लड़कियों ने यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ के गंभीर आरोप लगाए हैं। यह मामला तब सामने आया जब 12 नाबालिग लड़कियों ने अपनी हिम्मत जुटाकर बाबा की हरकतों का खुलासा किया। आरोपी ने एक पीड़िता के पिता पर आरोप लगाया कि उन्होंने अन्य लड़कियों को भड़काया, लेकिन अदालत ने इस दलील को खारिज कर दिया। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और अदालत के फैसले के बारे में।
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दिल्ली में आश्रम के बाबा पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप

आध्यात्मिक गुरु पर लगे आरोप

दिल्ली के विवेक विहार क्षेत्र में एक बार फिर अध्यात्म के नाम पर एक गंभीर मामला सामने आया है। यहां एक आश्रम में एक 'बाबा' पर 17 लड़कियों ने यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ के आरोप लगाए हैं। इस मामले में नया मोड़ तब आया जब आरोपी बाबा ने एक पीड़िता के पिता पर आरोप लगाया कि उन्होंने अन्य लड़कियों को उसके खिलाफ भड़काया, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया।

यह मामला तब उजागर हुआ जब 12 नाबालिग लड़कियों ने हिम्मत जुटाकर बाबा की हरकतों का खुलासा किया। इसके बाद 17 और लड़कियों ने भी अपनी आपबीती सुनाई। ये सभी लड़कियां एक गैर-सरकारी संगठन "बचपन बचाओ आंदोलन" की सहायता से इस मामले को उजागर करने में सफल रहीं।

पुलिस के अनुसार, यह आश्रम एक आध्यात्मिक केंद्र के रूप में कार्यरत था, जहां कई लड़कियां और महिलाएं आती थीं। आरोप है कि बाबा ने प्रवचन और आध्यात्मिक ज्ञान देने के बहाने नाबालिग लड़कियों को शिकार बनाया। उसने लड़कियों को धमकी दी थी कि यदि वे किसी को कुछ बताती हैं, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।

इस मामले का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि आरोपी बाबा ने अपनी रक्षा के लिए एक पीड़िता के पिता पर साजिश का आरोप लगाया। उसने अदालत में याचिका दायर कर कहा कि पिता ने अन्य लड़कियों को उसके खिलाफ झूठे बयान देने के लिए उकसाया है। हालांकि, कड़कड़डूमा अदालत की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रीति कुमारी शर्मा ने बाबा की इस दलील को खारिज कर दिया।

अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि आरोपी यह साबित करने में असफल रहा है कि पहली पीड़िता के पिता ने अन्य पीड़िताओं को प्रभावित किया। कोर्ट ने कहा कि केवल इस आधार पर कि सभी लड़कियां एक ही NGO की मदद से सामने आई हैं, यह नहीं माना जा सकता कि उन्हें भड़काया गया है। अदालत ने जांच अधिकारी को निर्देश दिया है कि मामले की निष्पक्ष जांच जारी रखी जाए।