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दिल्ली में पुतिन की ऐतिहासिक यात्रा: हैदराबाद हाउस का महत्व और विरासत

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान हैदराबाद हाउस में हो रही शिखर वार्ता का महत्व और इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर एक नजर। जानें कैसे यह इमारत निजाम उस्मान अली खान की विरासत को दर्शाती है और आज के कूटनीतिक संबंधों में इसकी भूमिका क्या है।
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दिल्ली में पुतिन की ऐतिहासिक यात्रा: हैदराबाद हाउस का महत्व और विरासत

दिल्ली में पुतिन का स्वागत


नई दिल्ली : 4 दिसंबर की शाम से, दिल्ली की व्यस्त सड़कों पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का काफिला लगातार सक्रिय है। एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया और उन्हें अपने निवास पर एक निजी रात्रिभोज के लिए ले गए। अगले दिन, पुतिन को राष्ट्रपति भवन में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया और उन्होंने राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। अब उनकी भारत-रूस शिखर वार्ता हैदराबाद हाउस में हो रही है, जहां रक्षा सहयोग, ऊर्जा, व्यापार और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की उम्मीद है। इस दौरे की सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह वार्ता उस ऐतिहासिक इमारत में हो रही है, जो कभी हैदराबाद के अंतिम निजाम की शाही पहचान थी।


हैदराबाद हाउस: शानो-शौकत और सादगी का अद्भुत मेल

हैदराबाद हाउस: शानो-शौकत और सादगी का अद्भुत मेल
निजाम उस्मान अली खान, जो हैदराबाद रियासत के अंतिम शासक थे, का शासन 1911 से 1948 तक रहा। उन्हें अपने समय का सबसे धनी शासक माना जाता था। उनके पास सोने-चांदी का विशाल भंडार और हीरों का संग्रह था, लेकिन वे सादगी से जीवन जीते थे। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और सार्वजनिक निर्माण को बढ़ावा दिया, और ओस्मानिया यूनिवर्सिटी जैसे संस्थान उनकी दूरदर्शिता के प्रतीक हैं।


दिल्ली में हैदराबाद हाउस का निर्माण

दिल्ली में हैदराबाद हाउस बनवाने की वजह
निजाम ने दिल्ली में हैदराबाद हाउस का निर्माण इसलिए किया ताकि राजधानी में उनके राजनयिक संबंधों और आधिकारिक कार्यक्रमों के लिए एक भव्य स्थान हो। उस समय, रियासतों के राजा दिल्ली में अपनी उपस्थिति को मजबूत दिखाने के लिए आकर्षक आवास बनवाते थे। निजाम भी चाहते थे कि जब वे दिल्ली आएं, तो उनके पास एक ऐसा महलनुमा घर हो जो उनकी रियासत की प्रतिष्ठा को दर्शाए। यही कारण है कि यह भवन एक शाही महल की तरह बनाया गया है, जिसमें उनकी शान और हैदराबाद की पहचान स्पष्ट रूप से झलकती है।


हैदराबाद हाउस की अनोखी संरचना

हैदराबाद हाउस की अनोखी बनावट
हैदराबाद हाउस का डिज़ाइन प्रसिद्ध ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियंस ने तैयार किया था, जिन्होंने राष्ट्रपति भवन और भारत की संसद जैसी महत्वपूर्ण इमारतों का निर्माण किया। यह इमारत गोलाकार संरचना वाली है और इसमें इंडो-सारासेनिक शैली का मिश्रण दिखाई देता है, जिसमें भारतीय और यूरोपीय वास्तुकला का सुंदर मेल शामिल है। अंदर विशाल दरबार हॉल, शाही कमरों और आकर्षक मीटिंग स्पेस की व्यवस्था की गई है। अपनी सुंदरता और अनोखी विरासत के कारण, यह भवन दिल्ली की प्रमुख ऐतिहासिक इमारतों में गिना जाता है।


हैदराबाद हाउस: भारत का कूटनीतिक केंद्र

हैदराबाद हाउस भारत का कूटनीतिक स्थल
आज, हैदराबाद हाउस भारत सरकार का प्रमुख कूटनीतिक स्थल बन चुका है। जब भी दुनिया के कई देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उच्चस्तरीय प्रतिनिधि भारत आते हैं, तो उनकी महत्वपूर्ण बैठकें इसी भवन में होती हैं। भारत-अमेरिका, भारत-रूस, भारत-जापान जैसे कई बड़े अंतरराष्ट्रीय समझौते यहीं तय किए जाते हैं। एक समय का निजाम का निजी महल अब भारत की आधुनिक विदेश नीति और वैश्विक संबंधों का प्रमुख मंच बन गया है।