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दिल्ली में पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध: बीजेपी की नीति पर उठे सवाल

दिल्ली में पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध को लेकर बीजेपी सरकार की नीति पर सवाल उठाए जा रहे हैं। आम आदमी पार्टी के सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया है कि यह कदम ऑटोमोबाइल कंपनियों के साथ मिलीभगत का परिणाम है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय दिल्ली के 61 लाख निवासियों को नई गाड़ियां खरीदने के लिए मजबूर करने की साजिश है। जानें इस विवाद के पीछे की सच्चाई और जनता के विरोध के कारण बीजेपी को अपने फैसले से पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा।
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दिल्ली में पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध: बीजेपी की नीति पर उठे सवाल

दिल्ली में पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध का विवाद

दिल्ली में पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध को लेकर बीजेपी सरकार की नीति पर सवाल उठ रहे हैं। आम आदमी पार्टी (आप) के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि वह ऑटोमोबाइल कंपनियों के साथ मिलीभगत कर रही है। उनका कहना है कि यह कदम दिल्ली के 61 लाख निवासियों को नई गाड़ियां खरीदने के लिए मजबूर करने की साजिश है। आप ने बीजेपी के इस कदम को कोर्ट के आदेश का बहाना बताने की कोशिश को भी उजागर किया है।


बीजेपी का निर्णय और आप की प्रतिक्रिया

बीजेपी का तुगलकी फरमान

सौरभ भारद्वाज ने बीजेपी सरकार के निर्णय पर कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने फरवरी 2025 में दिल्ली में सरकार बनते ही पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया था। उन्होंने दिल्लीवासियों को बधाई देते हुए कहा कि उनकी एकजुटता ने बीजेपी के कई तुगलकी फरमानों को वापस लेने के लिए मजबूर किया है। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने 1 मार्च 2025 को यह घोषणा की थी कि 31 मार्च के बाद पुरानी गाड़ियों को पेट्रोल-डीजल नहीं दिया जाएगा, लेकिन यह प्रतिबंध 1 जुलाई से लागू हुआ।


कोर्ट के आदेश का बहाना

कोर्ट के आदेश का बहाना

बीजेपी सरकार ने कहा कि यह प्रतिबंध कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग (सीएक्यूएम) के आदेश के कारण लगाया गया। लेकिन सौरभ भारद्वाज ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि बीजेपी बहानेबाजी कर रही है। उन्होंने बताया कि पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध का आदेश नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही दिया था। 2015 से 2025 तक दिल्ली में आप की सरकार थी, लेकिन उसने कभी भी पुरानी गाड़ियों पर ईंधन देने की रोक नहीं लगाई।


साजिश का खुलासा

साजिश का खुलासा

सौरभ भारद्वाज ने बताया कि मनजिंदर सिंह सिरसा ने 1 मार्च 2025 को पुरानी गाड़ियों पर ईंधन देने की रोक की घोषणा की थी, जबकि सीएक्यूएम का पत्र 23 अप्रैल 2025 को आया। इससे स्पष्ट है कि बीजेपी ने सरकार बनने के तुरंत बाद ही यह निर्णय लिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि सीएक्यूएम और बीजेपी की दिल्ली सरकार ने मिलकर यह तुगलकी फरमान लागू किया, जिसका उद्देश्य ऑटोमोबाइल कंपनियों को लाभ पहुंचाना था।


जनता और आप का विरोध

जनता और आप का विरोध

जब बीजेपी सरकार ने पुरानी गाड़ियों को ईंधन देने से रोकने की बात कही, तब केवल दिल्ली की जनता और आम आदमी पार्टी ने इसका विरोध किया। बीजेपी के मंत्री प्रचार कर रहे थे कि पेट्रोल पंपों पर पुरानी गाड़ियों को जब्त करने के लिए 400 टीमें लगाई जाएंगी। लेकिन आप ने इस आदेश का लगातार विरोध किया, जिसके कारण बीजेपी को अंततः यह तुगलकी फरमान वापस लेना पड़ा।


भ्रष्टाचार की जांच की मांग

भ्रष्टाचार की जांच की मांग

सौरभ भारद्वाज ने सीएक्यूएम के आदेश की जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि 3 जुलाई 2025 को मनजिंदर सिंह सिरसा द्वारा लिखा गया पत्र केवल दिखावा है। उन्होंने कहा कि इस आदेश की गहन जांच होनी चाहिए, क्योंकि इसमें बड़े भ्रष्टाचार के संकेत हैं।


दिल्ली की जनता की जीत

दिल्ली की जनता की जीत

सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली की जनता को उनकी एकजुटता के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि जनता और आप के विरोध के कारण बीजेपी को अपने फैसले से पीछे हटना पड़ा। यह दिल्लीवासियों की ताकत का प्रतीक है कि उन्होंने बीजेपी के तुगलकी फरमान को नाकाम कर दिया।


भविष्य की रणनीति

भविष्य की रणनीति

आम आदमी पार्टी ने स्पष्ट किया कि वह हमेशा दिल्ली की जनता के हितों की रक्षा के लिए तैयार है। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि बीजेपी की नीतियां, जो जनता पर बोझ डालती हैं, कभी स्वीकार नहीं की जाएंगी।