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दिल्ली में पुराने वाहनों के मालिकों को मिली राहत, उच्चतम न्यायालय का महत्वपूर्ण निर्णय

दिल्ली और एनसीआर में 10 वर्ष से अधिक पुराने डीजल और 15 वर्ष से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों के मालिकों को उच्चतम न्यायालय से राहत मिली है। अदालत ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे इन वाहनों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न करें। यह निर्णय एनजीटी के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर आया है। सॉलिसिटर जनरल ने अदालत में कहा कि प्रतिबंध के कारण लोगों को अपने पुराने वाहनों को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि वाहन की उम्र के बजाय उसकी स्थिति और प्रदूषण फैलाने की क्षमता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
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उच्चतम न्यायालय का आदेश

दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में 10 वर्ष से अधिक पुराने डीजल और 15 वर्ष से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों के मालिकों को राहत देते हुए, उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न करें। शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के निर्देश को बरकरार रखने वाली याचिका पर विचार किया। उच्चतम न्यायालय ने एनजीटी के आदेश के अनुसार, एनसीआर में राज्यों के परिवहन विभागों को निर्धारित समय सीमा वाले वाहनों को सड़कों पर चलने से रोकने का निर्देश दिया था। एनजीटी ने 26 नवंबर 2014 को कहा था, 'यह निर्देश सभी प्रकार के वाहनों पर लागू होगा, चाहे वे वाणिज्यिक हों या अन्य।' यह आदेश विशेष रूप से सर्दियों में बढ़ते वायु प्रदूषण के स्तर को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया था। प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने मंगलवार को वाहन चालकों को राहत दी।


दिल्ली सरकार का अनुरोध

दिल्ली सरकार ने 10 साल से अधिक पुराने डीजल और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया। सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से अनुरोध किया कि कोई दंडात्मक कार्रवाई न करने का आदेश दिया जाए। उन्होंने कहा कि प्रतिबंध के कारण लोगों के पास अपने पुराने वाहन बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। मेहता ने अदालत को बताया कि घर से अदालत आने-जाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला वाहन 10 साल में केवल 2,000 किलोमीटर ही चल पाएगा, लेकिन प्रतिबंध के कारण उसे बेचना पड़ेगा।


उत्सर्जन आधारित नीति की आवश्यकता

उच्चतम न्यायालय का यह निर्णय दिल्ली और एनसीआर के वाहन मालिकों के लिए राहत देने वाला है। वाहन की उम्र के बजाय उसकी स्थिति और प्रदूषण फैलाने की क्षमता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। पुराने वाहन कई बार अच्छी स्थिति में होते हैं, जबकि नए वाहन रखरखाव की कमी के कारण खराब हो सकते हैं। ऐसे में, समय आधारित नीति के बजाय उत्सर्जन आधारित नीति पर ध्यान देने की आवश्यकता है। प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर बीमा दरें बढ़ाने और जुर्माने की राशि में वृद्धि की जानी चाहिए।


विशेषज्ञों की राय का महत्व

इस मामले में वाहन विशेषज्ञों की राय लेकर ही अंतिम निर्णय लिया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि नीति का प्रभावी कार्यान्वयन हो और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।


मुख्य संपादक का विचार

दिल्ली में पुराने वाहनों के मालिकों को मिली राहत, उच्चतम न्यायालय का महत्वपूर्ण निर्णय


-इरविन खन्ना, मुख्य संपादक