दिल्ली में प्रदूषण की गंभीर स्थिति: नागरिकों की लापरवाही का असर
दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति
दिल्ली में प्रदूषण की गंभीरता
पिछले दो महीनों से दिल्ली की स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार 400 के आसपास बना हुआ है, जिससे लोगों को सांस लेने में कठिनाई हो रही है। हाल के दिनों में कोहरे ने स्थिति को और भी बिगाड़ दिया है, जिससे जहरीली गैसों और धुएं की एक मोटी परत बन गई है। दिल्ली-एनसीआर के निवासियों को इससे राहत मिलती नहीं दिख रही है।
दिल्लीवासियों की लापरवाही
दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से स्थानीय लोग ही जिम्मेदार हैं। सरकार के प्रयास प्रदूषण को कम करने में विफल होते नजर आ रहे हैं, जिसका मुख्य कारण नागरिकों की लापरवाही है। ग्रैप चार लागू होने के बावजूद लोग इसके नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। जगह-जगह कूड़े में आग लगाना, कोयला और लकड़ी जलाना, और वाहनों का अत्यधिक उपयोग करना आम बात हो गई है। प्रदूषण विभाग को रोजाना हजारों कॉल मिलती हैं, जिनमें लोग सार्वजनिक स्थलों पर आग लगने की सूचना देते हैं।
निजी वाहनों की अधिकता
दिल्ली में मेट्रो और बसों जैसे सार्वजनिक परिवहन की सुविधाएं उपलब्ध हैं, फिर भी अधिकांश लोग अकेले अपनी कारों में यात्रा करना पसंद करते हैं। इससे ट्रैफिक बढ़ता है और वाहनों से निकलने वाला धुआं हवा को प्रदूषित करता है। रिपोर्टों के अनुसार, दिल्ली में एक करोड़ से अधिक वाहन हैं, जो पीएम2.5 के 15-25 प्रतिशत प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
खुले में कचरा जलाना
गरीब बस्तियों में लोग कचरा, पत्तियां या लकड़ी खुले में जलाते हैं, क्योंकि उनके पास बेहतर विकल्प नहीं होते। यह आदत पीएम2.5 के स्तर को तेजी से बढ़ाती है। एक अध्ययन से पता चलता है कि सर्दियों में रात के समय 70 प्रतिशत महीन कण इसी जलाने से बनते हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किरकिरी
दिल्ली प्रदूषण के मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन चुकी है। इसे दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में गिना जा रहा है, और कई देशों ने अपने नागरिकों को दिल्ली आने से बचने की सलाह दी है।
