दिल्ली में प्रदूषण पर काबू पाने के लिए सरकार ने लागू किए सख्त नियम
दिल्ली में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए नए कदम
नई दिल्ली: दिल्ली में वायु गुणवत्ता के बिगड़ते हालात को देखते हुए, सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए आज से कड़े नियम लागू कर दिए हैं। हाल ही में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) गंभीर श्रेणी में पहुंचने के बाद ये निर्णय लिए गए हैं। ये नए उपाय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) द्वारा लागू ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के चरण-4 के तहत और सख्त किए गए हैं।
सरकार का कहना है कि लोगों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए, कार्यालयों, वाहनों और ईंधन आपूर्ति से जुड़े नियमों में बदलाव किया गया है, ताकि प्रदूषण के मुख्य स्रोतों पर नियंत्रण किया जा सके।
हाइब्रिड वर्क मॉडल की अनिवार्यता
कार्यालयों के लिए हाइब्रिड वर्क-फ्रॉम-होम
दिल्ली सरकार ने सभी सरकारी और निजी कार्यालयों के लिए हाइब्रिड वर्क मॉडल को अनिवार्य कर दिया है। नए आदेश के अनुसार, किसी भी निजी कार्यालय में 50 प्रतिशत से अधिक कर्मचारी एक साथ उपस्थित नहीं हो सकेंगे। बाकी कर्मचारियों को घर से काम करना होगा। हालांकि, आपातकालीन सेवाओं, अस्पतालों, अग्निशामक विभाग, प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े विभागों, परिवहन और स्वच्छता सेवाओं में कार्यरत कर्मचारियों को इस नियम से छूट दी गई है। दिहाड़ी मजदूरों को भी इस व्यवस्था से बाहर रखा गया है।
वाहनों के प्रवेश पर सख्त पाबंदियाँ
वाहनों के प्रवेश पर सख्त रोक
प्रदूषण नियंत्रण के तहत GRAP-4 लागू होने पर, दिल्ली के बाहर पंजीकृत और बीएस-6 मानक से नीचे के वाहनों को राजधानी में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। इसके अलावा, निर्माण सामग्री ले जाने वाले ट्रकों पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग की टीमें पेट्रोल पंपों और शहर की सीमाओं पर तैनात रहेंगी, ताकि नियमों का सख्ती से पालन हो सके। सुप्रीम कोर्ट ने भी बीएस-3 और उससे नीचे के वाहनों को पहले मिली राहत को समाप्त कर दिया है, जिससे ऐसे वाहन अब दंडात्मक कार्रवाई के दायरे में आएंगे।
पीयूसी प्रमाणपत्र की अनिवार्यता
पीयूसी प्रमाणपत्र हुआ अनिवार्य
आज से पेट्रोल पंपों पर बिना वैध पीयूसी (प्रदूषण नियंत्रण) प्रमाणपत्र के किसी भी वाहन को ईंधन नहीं दिया जाएगा। यह प्रमाणपत्र अधिकृत केंद्रों पर साधारण उत्सर्जन जांच के बाद जारी किया जाता है। दो और तिपहिया वाहनों के लिए पीयूसी शुल्क 60 रुपये, पेट्रोल चार पहिया वाहनों के लिए 80 रुपये और डीजल वाहनों के लिए 100 रुपये निर्धारित किया गया है। भारत स्टेज-IV और स्टेज-VI मानकों वाले वाहनों के लिए यह प्रमाणपत्र 12 महीने तक वैध रहेगा।
हालांकि, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अब तक किए गए प्रयासों पर असंतोष व्यक्त करते हुए प्रदूषण से निपटने के लिए दीर्घकालिक और प्रभावी रणनीति की आवश्यकता पर जोर दिया। सरकार का दावा है कि ये तात्कालिक कदम प्रदूषण के स्तर को कम करने में मदद करेंगे।
