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दिल्ली में बम धमकी से हड़कंप, सुरक्षा एजेंसियां सक्रिय

दिल्ली में मंगलवार को मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज और मुख्यमंत्री सचिवालय को एक धमकी भरा ईमेल मिला, जिसमें बम विस्फोट की चेतावनी दी गई थी। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने तुरंत कार्रवाई की, जांच शुरू की और लोगों से घबराने की अपील की। यह घटना हाल के समय में दिल्ली में आई बम की झूठी धमकियों की श्रृंखला में एक और मामला है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और सुरक्षा उपायों के बारे में।
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दिल्ली में बम धमकी से हड़कंप, सुरक्षा एजेंसियां सक्रिय

दिल्ली में बम धमकी का मामला

नई दिल्ली - मंगलवार को दिल्ली में मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (एमएएमसी) और मुख्यमंत्री सचिवालय को एक धमकी भरा ईमेल प्राप्त हुआ, जिससे हड़कंप मच गया। ईमेल में कहा गया कि दोपहर 2:45 बजे एमएएमसी और 3:30 बजे सीएम सचिवालय में बम विस्फोट किया जाएगा।


जैसे ही यह धमकी मिली, पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां तुरंत सक्रिय हो गईं। बम डिटेक्शन एंड डिस्पोजल टीम ने तुरंत घटनास्थल पर पहुंचकर गहन जांच और स्कैनिंग शुरू की। सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए त्वरित और समन्वित कार्रवाई की गई। पुलिस के अनुसार, प्रारंभिक जांच में यह ईमेल पिछले फर्जी मेल्स से मेल खाता है, और यह संभावना जताई जा रही है कि यह किसी अन्य राज्य के लिए भेजा गया हो। फिर भी, इसे गंभीरता से लिया गया है और सभी मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का पालन किया जा रहा है।


इस कार्रवाई के तहत, एडिशनल डीसीपी-1 (सेंट्रल), एसीपी कमला मार्केट और एसएचओ आईपी एस्टेट सीएम सचिवालय में मौजूद हैं और गहन जांच की जा रही है। एटीओ आईपी एस्टेट एमएएमसी में सुरक्षा जांच की निगरानी कर रहे हैं। इसके अलावा, साइबर सेल का एसएचओ धमकी भरे ईमेल की जांच कर रहा है। डीडीएमए, ट्रैफिक पुलिस और स्पेशल सेल जैसी अन्य एजेंसियों को भी अलर्ट किया गया है और वे पूरे अभियान में सहयोग कर रही हैं। फिलहाल, तलाशी अभियान जारी है। दिल्ली पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे घबराएं नहीं और आगे की जानकारी जल्द ही दी जाएगी।


यह ध्यान देने योग्य है कि हाल के समय में दिल्ली के कई प्रतिष्ठित संस्थानों, दफ्तरों, स्कूलों और कॉलेजों को बम की झूठी धमकियां मिल चुकी हैं। इससे पहले, चाणक्यपुरी स्थित जीसस एंड मैरी कॉलेज समेत लगभग 20 कॉलेजों को भी इसी तरह के धमकी भरे ई-मेल भेजे गए थे। जांच में यह पाया गया था कि ये धमकियां झूठी थीं। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि ईमेल भेजने वाले ने अपनी पहचान छिपाने के लिए वीपीएन का उपयोग किया होगा।