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दिल्ली में बाढ़: राहत शिविरों की बदहाली और प्रशासन की चुप्पी

दिल्ली में बाढ़ ने राहत शिविरों की स्थिति को गंभीर बना दिया है, जिससे लोग खुद खाने-पीने और दवाओं की व्यवस्था करने को मजबूर हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्थिति का दौरा किया और प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल उठाए। जानें कैसे सत्ता परिवर्तन के बाद हालात बिगड़ गए हैं और लोग किस तरह से प्रभावित हो रहे हैं।
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दिल्ली में बाढ़: राहत शिविरों की बदहाली और प्रशासन की चुप्पी

दिल्ली में बाढ़ की स्थिति

दिल्ली में आई बाढ़ ने राजधानी की तैयारियों और सरकारी दावों की वास्तविकता को उजागर कर दिया है। राहत शिविरों की स्थिति अत्यंत खराब है, जिससे लोग खुद खाने-पीने और दवाओं की व्यवस्था करने के लिए मजबूर हो रहे हैं।


राहत शिविरों में अव्यवस्था

बाढ़ के कारण स्थापित राहत शिविरों की स्थिति बेहद चिंताजनक है। पहले जहां समय पर टेंट, मच्छरदानी, चिकित्सक और भोजन की व्यवस्था होती थी, वहीं अब स्थिति इसके विपरीत है। कई शिविरों में न तो टेंट हैं और न ही भोजन समय पर पहुंचाया जा रहा है। साफ पानी की कमी और मच्छरों की समस्या लोगों की परेशानियों को और बढ़ा रही है।


सत्ता परिवर्तन के बाद बिगड़ी स्थिति

लोगों का कहना है कि जब अरविंद केजरीवाल की सरकार थी, तब बाढ़ से पहले पंप लगाए जाते थे और नालों की सफाई समय पर होती थी। अब जबकि केंद्र और एमसीडी में बीजेपी की सरकार है, संकट के समय व्यवस्था का अभाव है। कई स्थानों पर स्थिति नियंत्रण से बाहर हो चुकी है, लेकिन प्रशासनिक सक्रियता गायब है।


नेताओं की अनुपस्थिति और प्रशासनिक चुप्पी

लोग इस बात से भी नाराज़ हैं कि पहले मुख्यमंत्री और मंत्री खुद मौके पर जाकर स्थिति का जायज़ा लेते थे, लेकिन अब कोई भी जिम्मेदार नेता राहत शिविरों में नहीं पहुंच रहा है। न तो स्थिति का आकलन किया जा रहा है और न ही कोई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। प्रशासनिक चुप्पी हर ओर फैली हुई है और सरकारें केवल बयानबाज़ी तक सीमित रह गई हैं।


केजरीवाल का दौरा और अपील

पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राहत शिविरों का दौरा किया और स्थिति का अवलोकन किया। उन्होंने कहा कि सरकारें अब केवल बयान देने में लगी हैं। उन्होंने अपील की कि इस संकट को राजनीति से ऊपर उठकर देखा जाए, क्योंकि यह एक मानवीय त्रासदी है। उन्होंने चेतावनी दी कि हर देरी का मतलब है लोगों की और अधिक तकलीफ। लोग भी मानते हैं कि मौजूदा हालात को देखकर यह स्पष्ट होता है कि पहले केजरीवाल सरकार वास्तव में लोगों के लिए काम करती थी।