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दिल्ली में लाल किला विस्फोट: आतंकी साजिश में आंतरिक तनाव की कहानी

दिल्ली के लाल किला क्षेत्र में हुए विस्फोट की जांच में कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ सामने आई हैं। डॉ. उमर और डॉ. मुजम्मिल के बीच बढ़ते तनाव और आंतरिक असहमति ने इस आतंकी साजिश को कमजोर कर दिया। जांच में मिले वीडियो और इंटरसेप्टेड चैट्स से पता चलता है कि डॉ. उमर 9/11 जैसी घटना को अंजाम देने की योजना बना रहा था, लेकिन उसकी आक्रामकता ने पूरे नेटवर्क को बिखेर दिया। जानें इस साजिश के पीछे की पूरी कहानी।
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दिल्ली में लाल किला विस्फोट: आतंकी साजिश में आंतरिक तनाव की कहानी

जांच में सामने आई नई जानकारियाँ


नई दिल्ली : दिल्ली के लाल किला क्षेत्र में हुए विस्फोट की जांच में कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आ रहे हैं। शीर्ष खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार, हमले से जुड़े दो प्रमुख व्यक्तियों—डॉ. उमर और डॉ. मुजम्मिल—के बीच तनाव बढ़ता जा रहा था। दोनों के बीच आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के तरीके पर मतभेद इतना गहरा था कि पूरा नेटवर्क बिखरने लगा था।


आक्रामकता से बढ़ा तनाव

सूत्रों के अनुसार, डॉ. उमर ने सितंबर में बड़े हमले की योजना बनाई थी। उसकी सोच तेज और आक्रामक थी, जो अन्य सदस्यों के लिए असहज बन गई। उसकी जल्दबाज़ी ने नेटवर्क की सामूहिक रणनीति को कमजोर कर दिया, जिससे उनका सितंबर का प्लान अधूरा रह गया।


वैचारिक मतभेदों का असर

सूत्रों के अनुसार, डॉ. उमर और डॉ. मुजम्मिल के बीच न केवल हमले की समय सीमा पर, बल्कि लक्ष्यों को लेकर भी सहमति नहीं बन पा रही थी। उमर अपनी योजनाओं को प्रभावशाली मानता था, जबकि मुजम्मिल का मानना था कि तेजी से आगे बढ़ने से सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। यह वैचारिक टकराव धीरे-धीरे ऑपरेशनल मतभेदों में बदल गया।


वीडियो में दिखी आक्रामकता

जांच अधिकारियों के अनुसार, हाल ही में मिले एक वीडियो में डॉ. उमर को समूह के अन्य सदस्यों को अपनी दिशा में धकेलते हुए देखा गया है। उसका आक्रामक व्यवहार इस बात का संकेत है कि वह मॉड्यूल को अपनी मर्जी से चलाना चाहता था, जिससे आंतरिक तनाव बढ़ गया।


हमले की रणनीति पर असहमति

जांच में शामिल अधिकारियों का कहना है कि दोनों व्यक्ति कट्टरपंथी विचारधारा से प्रभावित थे, लेकिन रणनीति के स्तर पर तालमेल नहीं बना सके। साजिश को कैसे आगे बढ़ाना है, किस तरह छिपाना है, और कब अंजाम देना है—इन सभी मुद्दों पर उनके बीच मतभेद बने रहे, जिससे पूरे मॉड्यूल की कार्यक्षमता प्रभावित हुई।


9/11 जैसी घटना की योजना

इंटरसेप्टेड चैट्स और पूछताछ के आधार पर, यह पता चला है कि डॉ. उमर सितंबर में 9/11 जैसी बड़ी घटना को अंजाम देना चाहता था। उसका मानना था कि इस तारीख का प्रतीकात्मक महत्व उनके उद्देश्य को मजबूत करेगा। लेकिन उसकी मानसिक अधीरता के कारण समूह के अन्य सदस्यों में बेचैनी फैलने लगी, जिससे नेटवर्क कमजोर होने लगा।


मुजम्मिल का डर और योजना का लीक होना

सूत्रों के अनुसार, जब मुजम्मिल को एहसास हुआ कि उमर की आक्रामकता मॉड्यूल को उजागर कर सकती है, तो वह घबरा गया। उसने योजना के कुछ हिस्से एक महिला डॉक्टर के साथ साझा कर दिए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वह मॉड्यूल से दूरी बनाना चाहता था।


नाकाम हुआ 'सितंबर ऑपरेशन'

जांच से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मॉड्यूल के भीतर बढ़ती फूट और नेतृत्व पर खींचतान ने पूरे नेटवर्क की एकता को खत्म कर दिया। इसी कारण डॉ. उमर द्वारा प्रचारित किया गया बड़ा हमला कभी अंजाम नहीं हो सका। जब तक कार्रवाई होती, मॉड्यूल आंतरिक रूप से बिखर चुका था और योजना कागज़ पर ही रह गई।