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दिल्ली में वीर बाल दिवस: साहिबजादों की शहादत को किया गया सम्मानित

दिल्ली में आयोजित वीर बाल दिवस पर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने साहिबजादों के बलिदान को श्रद्धांजलि अर्पित की। त्यागराज स्टेडियम में हुए इस कार्यक्रम में विशेष पुस्तिका का विमोचन किया गया और विद्यार्थियों ने गतका प्रदर्शन किया। मुख्यमंत्री ने साहिबजादों के अदम्य साहस की सराहना करते हुए कहा कि यह दिन आने वाली पीढ़ियों में साहस और नैतिकता के संस्कार रोपित करने का संकल्प है। कार्यक्रम में लेजर शो और अन्य गतिविधियाँ भी शामिल थीं, जो साहिबजादों की वीरता को उजागर करती हैं।
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दिल्ली में वीर बाल दिवस: साहिबजादों की शहादत को किया गया सम्मानित

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का साहिबजादों को श्रद्धांजलि

– मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने त्यागराज स्टेडियम में राष्ट्रीय स्मरणोत्सव में साहिबजादों के बलिदान को किया नमन


– विशेष पुस्तिका और डाक लिफाफे का विमोचन, विद्यार्थियों ने प्रस्तुत किए गतका प्रदर्शन और शिलॉन्ग चैंबर क्वायर द्वारा प्रस्तुत किए देशभक्ति गीत


– लेजर एवं लाइट शो से रोशन हुआ पुराना किला, दिखाया गया वीर साहिबजादों का अदम्य साहस


नई दिल्ली – दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता ने आज ‘वीर बाल दिवस’ के अवसर पर त्यागराज स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेकर गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों के अद्वितीय साहस और बलिदान को श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने कहा कि वीर बाल दिवस केवल स्मरण का दिन नहीं है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों में साहस, स्वाभिमान, राष्ट्रप्रेम और नैतिक दृढ़ता के संस्कार रोपित करने का संकल्प है।


इस विशेष आयोजन में दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री श्री आशीष सूद, सरदार मनजिंदर सिंह सिरसा, वरिष्ठ अधिकारी, स्कूली छात्र और बड़ी संख्या में नागरिक शामिल हुए। इस अवसर पर साहिबजादों पर आधारित एक विशेष पुस्तिका और डाक विभाग के सहयोग से डाक लिफाफे का विमोचन किया गया। इसके साथ ही स्कूली छात्रों द्वारा गतका प्रदर्शन, वीर बाल दिवस पर आधारित 270° प्रोजेक्शन, छात्रों द्वारा तैयार रीलों का प्रदर्शन और शिलॉन्ग चैंबर क्वायर द्वारा देशभक्ति और वीर रस से ओतप्रोत प्रस्तुतियां भी दी गईं।


मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में साहिबजादों के चरणों में नमन करते हुए कहा कि भारत सदियों से शौर्य, त्याग और वीरता की भूमि रहा है। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों ने अत्यंत छोटी उम्र में जिस अदम्य साहस, दृढ़ आस्था और धर्मनिष्ठा का परिचय दिया, उसकी मिसाल विश्व इतिहास में कायम है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि जिस उम्र में बच्चे सामान्यतः खेल-कूद गतिविधियों में संलग्न रहते हैं, उस उम्र में साहिबजादों ने भय, आतंक और अत्याचार के सामने झुकने से इंकार करते हुए अपने धर्म और मूल्यों की रक्षा के लिए बलिदान का मार्ग चुना। उन्होंने यह भी कहा कि लंबे समय तक इन्हें वह स्थान और सम्मान नहीं मिल पाया, जिसके वे वास्तव में अधिकारी थे। लेकिन, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में घोषित किया जाना इस दिशा में एक ऐतिहासिक और दूरदर्शी पहल है, जिससे नई पीढ़ी अपने सच्चे नायकों से प्रेरणा ले सकेगी।


मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी राष्ट्र का भविष्य उसकी युवा पीढ़ी के साहस, आत्मविश्वास और नैतिक दृढ़ता पर निर्भर करता है। इसी सोच के साथ दिल्ली सरकार शिक्षा, संस्कृति और इतिहास से जुड़े ऐसे आयोजनों के माध्यम से युवाओं को अपने गौरवशाली अतीत से जोड़ रही है, ताकि वे साहिबजादों के आदर्शों से प्रेरणा लेकर निडर, जिम्मेदार और राष्ट्र के प्रति समर्पित नागरिक बन सकें।


दिल्ली में विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा बड़े स्तर पर मनाया गया वीर बाल दिवस
वीर बाल दिवस 2025 के अवसर पर दिल्ली सरकार द्वारा राष्ट्रीय, विद्यालय एवं महाविद्यालय स्तर पर विविध कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनका उद्देश्य छात्रों और नागरिकों को साहिबजादों के अतुलनीय बलिदान, वीरता और धर्मनिष्ठा से परिचित कराना था।


सरकारी, सहायता प्राप्त एवं निजी विद्यालयों तथा उच्च शिक्षण संस्थानों में ड्रॉइंग, पेंटिंग, खेलकूद, कहानी-कथन, निबंध लेखन, कविता, वाद-विवाद और डिजिटल प्रस्तुतियों जैसी गतिविधियाँ आयोजित की गईं, जिनके विषय राष्ट्र निर्माण में बच्चों की भूमिका, शौर्य गाथाएँ, वीरता और विकसित भारत रहे। कॉलेज एवं विश्वविद्यालय स्तर पर वाद-विवाद, ज्ञान-आधारित गतिविधियाँ, स्लोगन लेखन, रैलियां, समूह चर्चा और फिटनेस कार्यक्रम आयोजित किए गए। साथ ही चयनित विद्यालयों में रील-मेकिंग और स्टोरी-राइटिंग का पेशेवर डॉक्यूमेंटेशन तथा मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री की उपस्थिति में छात्रों के साथ विशेष पॉडकास्ट आयोजित कर साहिबजादों के जीवन और बलिदान की प्रेरणादायी गाथाओं को प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया गया।


पुराना किला में आयोजित किया गया लेजर एवं लाइट शो
वीर बाल दिवस के अवसर पर आज पुराना किला में आयोजित लेजर एवं लाइट शो के माध्यम से साहिबजादों की शौर्यगाथा को लाइट और साउंड के प्रभावशाली संयोजन से जीवंत किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रस्तुति इतिहास के स्वर्णिम अध्यायों को नई पीढ़ी तक भावनात्मक और प्रभावी रूप में पहुँचाने का सशक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार का प्रयास है कि ऐसे कार्यक्रमों के जरिए छात्रों की व्यापक सहभागिता सुनिश्चित की जाए, राष्ट्रीय गौरव और देशभक्ति की भावना को मजबूत किया जाए, नैतिक साहस और नागरिक मूल्यों का विकास किया जाए और साहिबजादों के अद्वितीय बलिदान को यादगार और सार्थक तरीके से प्रस्तुत किया जाए।


यह भारत की आत्मा की गाथा है: शिक्षा मंत्री श्री आशीष सूद
दिल्ली के शिक्षा मंत्री श्री आशीष सूद ने कहा कि वीर बाल दिवस केवल एक स्मरण दिवस नहीं है। यह भारत की उस चेतना का सार्वजनिक स्वीकार है, जिसे हमने बहुत समय तक या तो अनदेखा किया या जान-बूझकर हाशिए में रखा। साहिबजादों की वीरता, उनकी शहादत, उनका शौर्य किसी समुदाय की गाथा नहीं है। यह भारत की आत्मा की गाथा है। वह आत्मा जो सत्य के साथ खड़े रहना जानती है, वह आत्मा जो अन्याय से समझौता नहीं करती है। यह वही परंपरा है जो हमें, परम पूजनीय गुरु गोविंद सिंह जी की सोच से जोड़ती है, जहां राष्ट्र, धर्म और नैतिकता अलग-अलग दिशाओं में नहीं चलते हैं, बल्कि एक ही उद्देश्य के लिए अग्रसर होते हैं। श्री सूद ने कहा कि आजादी के बाद दशकों तक इस देश के युवाओं को इस वीर गाथा से वंचित क्यों रखा गया? क्यों हमारी शिक्षा व्यवस्था ने साहस, त्याग और धर्म के लिए खड़े रहने की परंपरा को या तो संकुचित कर दिया या फुटनोट बना के छोड़ दिया? यह भूल नहीं थी, यह एक वैचारिक गुलामी थी। मैकाले की वही गुलामी, जिससे भारत को अपने पूर्वजों से काट कर एक निरपेक्ष, लेकिन जड़ समाज बनाने की कोशिश की गई।


श्री सूद ने कहा कि उस वक्त में साहिबजादों की वीरता, उनका बलिदान, उनकी शहादत असहनीय थी, क्योंकि वह त्याग सिखाती थी। वह आस्था सिखाती थी। उनकी शहादत अन्याय के विरुद्ध खड़े होने का साहस देती थी और जो सत्ता केवल सुविधा चाहती हो उसे साहसी नागरिकों के इतिहास से डर लगता है। उन्होंने कहा कि आज वीर बाल दिवस का भव्य स्वरूप इस बात का प्रमाण है कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में भारत उस मैकाले वाली मानसिकता से बाहर निकल चुका है। 9 जनवरी, 2022 को आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी ने गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के अवसर पर 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में घोषित किया। यह प्रतीकात्मक निर्णय नहीं था। यह एक वैचारिक घोषणा थी कि भारत अब अपने इतिहास से डरकर नहीं, इतिहास से शक्ति लेकर आगे बढ़ेगा। यह निर्णय किसी एक दिन तक सीमित नहीं था। करतारपुर कॉरिडोर से लेकर गुरु ग्रंथ साहब जी की सुरक्षित वापसी तक सभी अलग-अलग फैसले एक दृष्टि का विस्तार हैं और वह है सम्मान की दृष्टि, कर्तव्य की दृष्टि।


यह शहादत सदियों याद की जाएगी: पर्यावरण मंत्री श्री सिरसा
पर्यावरण मंत्री श्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा वीर बाल दिवस को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान देने का निर्णय आने वाली पीढ़ियों को सही दिशा देने वाला ऐतिहासिक कदम है। बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह जी की शहादत ऐसा प्रकाश स्तंभ है, जो देश के बच्चों और युवाओं को साहस, बलिदान और धर्म की रक्षा के मूल्यों से जोड़ता है। प्रधानमंत्री जी की यह दूरदर्शी सोच है कि भारत के हर कोने, चाहे वह त्रिपुरा हो, अरुणाचल हो, जम्मू-कश्मीर हो या दक्षिण भारत-के प्रत्येक बच्चे तक यह गौरवशाली इतिहास पहुंचे। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी के परिवार की शहादतें भारत की आत्मा और मूल्यों की रक्षा का ऐसा अमर अध्याय हैं, जिन्हें सदियों तक याद रखा जाएगा। गुरु तेग बहादुर जी से लेकर चारों साहिबजादों तक, पूरे परिवार ने अत्याचार के सामने झुकने के बजाय धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। मात्र सात और नौ वर्ष की आयु में बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह जी ने जिस अदम्य साहस के साथ शहादत को स्वीकार किया, वह इतिहास में अद्वितीय है और आज के भारत को नैतिक शक्ति प्रदान करता है।”


श्री सिरसा ने कहा कि वीर बाल दिवस राष्ट्र निर्माण के अभियान का अहम हिस्सा है। आज देश के लाखों स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक स्थलों पर इस दिवस का आयोजन यह सुनिश्चित करता है कि उनके सर्वोच्च बलिदान की कहानी हर बच्चे और हर नागरिक तक पहुँचे। माननीय मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता जी के नेतृत्व में दिल्ली सरकार इस पवित्र उद्देश्य को पूरी प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ा रही है। चाहे वह वीर बाल दिवस का आयोजन हो या गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहादत पर्व पर भव्य और गरिमामय कार्यक्रमों का आयोजन-दिल्ली सरकार सिख गुरुओं और साहिबजादों की महान विरासत को जन-जन तक पहुँचाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है।