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दिल्ली विधानसभा में पेश हुआ नया स्कूल शिक्षा विधेयक: क्या बदलेगी फीस की संरचना?

दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो चुका है, जिसमें 'दिल्ली स्कूल शिक्षा विधेयक 2025' पर चर्चा की जाएगी। यह विधेयक निजी स्कूलों की फीस को नियंत्रित करने और अभिभावकों को राहत देने के उद्देश्य से लाया गया है। इसमें फीस निर्धारण के लिए एक समिति का गठन, फीस वृद्धि पर नियंत्रण और उल्लंघन पर दंड का प्रावधान शामिल है। जानें इस विधेयक के प्रमुख पहलुओं के बारे में और कैसे यह शिक्षा क्षेत्र में सुधार लाने का प्रयास कर रहा है।
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दिल्ली विधानसभा में पेश हुआ नया स्कूल शिक्षा विधेयक: क्या बदलेगी फीस की संरचना?

दिल्ली स्कूल शिक्षा विधेयक का आगाज़

Delhi School Education Bill: दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार से आरंभ हो गया है, जो 4 अगस्त से 8 अगस्त तक चलेगा। इस सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा की जाएगी, जिनमें से एक प्रमुख है 'दिल्ली स्कूल शिक्षा विधेयक 2025'। यह विधेयक निजी स्कूलों की फीस संरचना को नियंत्रित करने और अभिभावकों को बढ़ती फीस के बोझ से राहत देने के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है। इसके साथ ही, CAG की राज्य वित्त और निर्माण श्रमिकों के कल्याण पर रिपोर्ट भी विधानसभा में पेश की जाएगी। दिल्ली सरकार का यह कदम शिक्षा क्षेत्र में सुधार लाने और सभी बच्चों को उचित शिक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से है। सरकार चाहती है कि कोई भी बच्चा फीस के कारण शिक्षा से वंचित न रहे। इस विधेयक के तहत स्कूलों में फीस वृद्धि पर नियंत्रण रखा जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि फीस निर्धारण में पारदर्शिता बनी रहे.


स्कूल फीस का नया विधेयक

इस विधेयक के अनुसार, हर स्कूल में एक 'स्कूल-स्तरीय फीस विनियमन समिति' का गठन किया जाएगा, जिसमें स्कूल प्रबंधन, शिक्षक, अभिभावक और अन्य संबंधित पक्षों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। यह समिति सुनिश्चित करेगी कि स्कूल द्वारा लिया गया शुल्क शिक्षा एक्ट के तहत स्वीकृत शुल्क से अधिक न हो.


स्कूल प्रबंधन को 31 जुलाई तक आगामी तीन शैक्षणिक वर्षों के लिए फीस का प्रस्ताव समिति के सामने प्रस्तुत करना होगा। यदि 15 सितंबर तक किसी सहमति पर नहीं पहुंचा जा सका, तो यह मामला जिला शुल्क अपीलीय समिति के पास भेजा जाएगा। जिला समिति में शिक्षा अधिकारी, चार्टर्ड अकाउंटेंट, स्कूल प्रतिनिधि और अभिभावक शामिल होंगे। इनके निर्णय तीन शैक्षणिक वर्षों तक लागू रहेंगे। हालांकि, उच्च संशोधन समिति में अपील की जा सकती है.


फीस कम करने के प्रमुख कारक

फीस संरचना निर्धारित करते समय कई महत्वपूर्ण कारकों को ध्यान में रखा जाएगा, जैसे बुनियादी ढांचा, शिक्षक वेतन, स्कूल का स्थान और व्यय-से-आय अनुपात। इसके अलावा, सामाजिक विविधता और लैंगिक प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। एक अभिभावक को लगातार दो बार से ज्यादा समिति में नहीं रहने दिया जाएगा। समिति को हर साल 15 अगस्त से पहले कम से कम एक बार बैठक करनी अनिवार्य होगी, ताकि फीस निर्धारण में पारदर्शिता बनी रहे.


स्कूलों पर जुर्माना और दंड का प्रावधान

इस विधेयक में स्कूलों के लिए सख्त दंडात्मक प्रावधान भी शामिल हैं। पहली बार उल्लंघन करने पर स्कूलों पर 1 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। यदि यह उल्लंघन बार-बार होता है, तो जुर्माना 2 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक हो सकता है। इसके अलावा, निर्धारित समय सीमा के भीतर राशि वापस न करने पर जुर्माना बढ़ता जाएगा। 20 दिनों के बाद जुर्माना दोगुना और 40 दिनों के बाद तिगुना हो जाएगा। बार-बार नियमों का उल्लंघन करने पर स्कूल प्रबंधन के आधिकारिक पदों पर नियुक्ति पर रोक लगाई जा सकती है और भविष्य में शुल्क संशोधन के प्रस्ताव पेश करने का अधिकार भी रद्द किया जा सकता है.



दिल्ली सरकार का यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और अभिभावकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। यह विधेयक न केवल निजी स्कूलों की फीस में पारदर्शिता लाएगा, बल्कि यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी बच्चे को फीस के कारण शिक्षा से वंचित न होना पड़े.