दिल्ली विधानसभा में संजीव झा ने उठाया गंभीर मुद्दा, मुख्यमंत्री के आदेश पर उठे सवाल

दिल्ली विधानसभा में उठी चिंता
दिल्ली विधानसभा के मानसून सत्र के चौथे दिन, आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक संजीव झा ने एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया। उन्होंने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा जारी एक आदेश की आलोचना की, जिसमें कहा गया था कि किसी भी विधायक या मंत्री को डीएम या एसडीएम से मीटिंग के लिए बुलाने से पहले मुख्य सचिव की अनुमति लेनी होगी।
जनप्रतिनिधियों के अधिकारों का हनन
झा ने इसे जनप्रतिनिधियों के अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए कहा कि यह लोकतंत्र और विधानसभा की गरिमा के खिलाफ है। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से इस मुद्दे पर विशेषाधिकार हनन का नोटिस देकर हस्तक्षेप की मांग की।
नौकरशाही पर आरोप
सदन में झा ने कहा कि मुख्यमंत्री का आदेश नौकरशाही को जनप्रतिनिधियों के कार्य में बाधा डालने का एक नया बहाना प्रदान कर रहा है। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने एक जिलाधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की, तो उन्होंने उनका फोन नहीं उठाया। झा ने आरोप लगाया कि इस आदेश के बाद अधिकारी फोन न उठाने का बहाना बना रहे हैं।
अवमानना का आरोप
झा ने इस आदेश को दिल्ली विधानसभा की अवमानना करार दिया। उन्होंने कहा कि यह आदेश न केवल सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायकों, बल्कि मंत्रियों के अधिकारों पर भी हमला है। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से अपील की कि वह इस आदेश को रद्द करने का निर्देश दें।
लोकतंत्र पर खतरा
संजीव झा ने चेतावनी दी कि यदि कार्यकारिणी इस तरह विधानमंडल को नियंत्रित करने का प्रयास करती है, तो लोकतंत्र की परिभाषा ही खतरे में पड़ जाएगी। उन्होंने कहा कि जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों का अपमान संविधान का अपमान है।
आदेश वापस लेने की मांग
झा ने सरकार से इस आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह आदेश नौकरशाही को और अधिक शक्तिशाली बना रहा है, जिससे जनप्रतिनिधियों का कार्य प्रभावित हो रहा है। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से इस मामले में त्वरित हस्तक्षेप करने की अपील की।