दिल्ली विश्वविद्यालय ने 'मुस्लिम' शब्द पर माफी मांगी, विवाद का कारण

दिल्ली विश्वविद्यालय में विवाद
दिल्ली समाचार: दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) ने अपने एडमिशन फॉर्म में 'उर्दू' मातृभाषा की जगह 'मुस्लिम' शब्द का उपयोग किया था, जिससे विवाद उत्पन्न हो गया। इस पर कई शिक्षकों और बुद्धिजीवियों ने आपत्ति जताई। शनिवार को DU ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि मातृभाषा के कॉलम में 'मुस्लिम' शब्द गलती से लिखा गया था और इसके लिए उन्होंने खेद व्यक्त किया।
गलती का सुधार
सूत्रों के अनुसार, DU की प्रतिक्रिया काफी देर से आई। पहले, इस गलती के कारण सोशल मीडिया पर फॉर्म का स्क्रीनशॉट तेजी से वायरल हुआ। फॉर्म में मातृभाषा के कॉलम में 'मुस्लिम' शब्द दिखाया गया था, जबकि उर्दू को 8वीं अनुसूची के तहत संवैधानिक मान्यता प्राप्त है। इस कारण DU ने कुछ समय के लिए अपने पोर्टल को बंद कर दिया था, लेकिन गलती सुधारने के बाद इसे फिर से खोला गया।
जानबूझकर की गई गलती का आरोप
DU कार्यकारी परिषद की पूर्व सदस्य आभा देब हबीब ने कहा कि यह गलती जानबूझकर की गई है और इसे इस्लामोफोबिक दृष्टिकोण से जोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि धर्म को भाषा के साथ जोड़ना गलत है। मिरांडा हाउस में शिक्षिका आभा ने इस मामले में अन्य शिक्षकों के साथ विरोध दर्ज कराया है।
उर्दू की पहचान
किरोड़ीमल कॉलेज के प्रोफेसर रुद्राशीष चक्रवर्ती ने कहा कि 'मुस्लिम' को भाषा के रूप में पेश करना गलत है। उन्होंने बताया कि उर्दू एक धर्मनिरपेक्ष भाषा है, जिसे सभी धर्मों के लोग बोलते हैं। DU के कार्यकारी परिषद के सदस्य मिथुराज धूसिया ने भी इस पर दुख व्यक्त किया और कहा कि भारत में कई भाषाएं बोली जाती हैं, जिनमें उर्दू भी शामिल है। यह किसी विशेष धर्म की भाषा नहीं है।