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दिल्ली हाई कोर्ट ने एयर प्यूरीफायर पर जीएसटी कम करने का निर्देश दिया

दिल्ली हाई कोर्ट ने एयर प्यूरीफायर पर जीएसटी कम करने की याचिका पर केंद्र सरकार को 10 दिन में जवाब देने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए जीएसटी काउंसिल को भी इस मुद्दे पर बैठक करने के लिए कहा। वर्तमान में एयर प्यूरीफायर पर 18% जीएसटी लगाया जाता है, जिसे कम करने की मांग की गई है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और कोर्ट के निर्देशों के बारे में।
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दिल्ली हाई कोर्ट ने एयर प्यूरीफायर पर जीएसटी कम करने का निर्देश दिया

दिल्ली में वायु गुणवत्ता पर सुनवाई


नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने राजधानी में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए एयर प्यूरीफायर पर जीएसटी में कमी लाने की याचिका पर केंद्र सरकार को जवाब देने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति विकास महाजन और विनोद कुमार की अवकाश पीठ ने केंद्र को 10 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने का समय दिया और मामले की अगली सुनवाई 9 जनवरी को निर्धारित की है।


इससे पहले, उच्च न्यायालय ने जीएसटी काउंसिल को निर्देश दिया था कि वह एयर प्यूरीफायर पर जीएसटी को कम करने या समाप्त करने के लिए जल्द से जल्द बैठक करे। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया।


कोर्ट ने सरकार पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 'बहुत खराब' श्रेणी में है, तब भी एयर प्यूरीफायर पर टैक्स में छूट नहीं दी जा रही है। पीठ ने कहा कि यदि नागरिकों को स्वच्छ हवा नहीं मिल सकती, तो कम से कम एयर प्यूरीफायर पर जीएसटी को कम किया जाना चाहिए। वर्तमान में, एयर प्यूरीफायर पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया जाता है। याचिका में इसे चिकित्सा उपकरण मानकर जीएसटी को 5 प्रतिशत की श्रेणी में लाने की मांग की गई है।


वकील कपिल मदान द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में प्रदूषण की गंभीर स्थिति में एयर प्यूरीफायर को लग्जरी आइटम नहीं माना जा सकता। साफ इनडोर हवा अब स्वास्थ्य और जीवन के लिए आवश्यक हो गई है। याचिका में तर्क दिया गया है कि एयर प्यूरीफायर पर उच्चतम जीएसटी दर इसे बड़ी जनसंख्या के लिए आर्थिक रूप से अनुपलब्ध बना देती है, जो कि अनुचित और असंवैधानिक है।