Newzfatafatlogo

दिल्ली हाई कोर्ट में बम धमकी: सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल

दिल्ली हाई कोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी मिलने के बाद सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। उच्च न्यायालय परिसर को तुरंत खाली कराया गया और सुरक्षा बलों ने जांच शुरू की। इस घटना ने अदालतों की सुरक्षा को लेकर चिंताओं को फिर से उजागर किया है। जानें, कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था, न्यायाधीशों की सुरक्षा और इस धमकी के पीछे की कहानी। क्या हमारी संवेदनशील संस्थाएं सुरक्षित हैं? इस पर एक नजर डालते हैं।
 | 
दिल्ली हाई कोर्ट में बम धमकी: सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल

दिल्ली हाई कोर्ट में बम धमकी का मामला

दिल्ली हाई कोर्ट में बम धमकी: दिल्ली हाई कोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी मिलने के बाद राजधानी में हड़कंप मच गया है। उच्च न्यायालय परिसर को तुरंत खाली कराया गया और सुरक्षा बलों ने मौके पर पहुंचकर गहन जांच शुरू की। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब अदालतों की सुरक्षा को लेकर पहले से ही चिंताएं बनी हुई हैं। हाई कोर्ट, जहां वकील, आम जनता और कई बार वीआईपी भी मौजूद रहते हैं, पहले से ही एक उच्च सुरक्षा क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। इस धमकी को गंभीरता से लिया जा रहा है।


कोर्ट की सुरक्षा का जिम्मा

देश के किसी भी राज्य में अदालतों की सुरक्षा का मुख्य दायित्व संबंधित राज्य सरकार और उसके प्रशासन पर होता है। राज्य प्रशासन, जिला प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के समन्वय से कोर्ट परिसर में सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू किया जाता है। इसमें स्थानीय पुलिस बल के साथ-साथ CISF (सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स) जैसे विशेष सुरक्षाबलों की तैनाती भी होती है।


दिल्ली हाई कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था

हाई कोर्ट के गेट पर निगरानी: दिल्ली हाई कोर्ट के सभी प्रवेश द्वारों पर दिल्ली पुलिस और CISF के जवान 24 घंटे तैनात रहते हैं। वकीलों और कोर्ट स्टाफ को बायोमेट्रिक सिस्टम के माध्यम से प्रवेश दिया जाता है। वकीलों के लिए कई बार काउंसिल ID कार्ड और कर्मचारियों के लिए पास अनिवार्य होता है। आम जनता को भी कोर्ट में प्रवेश के लिए अधिकृत पास लेना आवश्यक होता है।


सुरक्षा की परतें

  • कोर्ट परिसर में सुरक्षा की कई परतें होती हैं।

  • सभी एंट्री पॉइंट पर मेटल डिटेक्टर और हैंड हेल्ड स्कैनर तैनात होते हैं।

  • बैग्स, फाइलें और अन्य वस्तुएं X-ray स्कैनर से गुजरती हैं।

  • किसी भी संदिग्ध वस्तु की तुरंत सीजिंग की जाती है।

  • कोर्ट परिसर के अंदर सुरक्षा व्यवस्था में कोई कोताही नहीं बरती जाती।

  • परिसर में CCTV कैमरों की निगरानी होती है।

  • कोर्ट रूम के बाहर और अंदर दिल्ली पुलिस, सुरक्षा गार्ड्स और सशस्त्र बल तैनात रहते हैं।

  • किसी भी असामान्य गतिविधि पर त्वरित कार्रवाई की जाती है।


न्यायधीशों की सुरक्षा

विशेष सुरक्षा: हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों को विशेष सुरक्षा प्रदान की जाती है। उन्हें PSO (पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर) और कभी-कभी राज्य पुलिस के अधिकारी भी सुरक्षा देते हैं। उनके आवास और कोर्ट दोनों स्थानों पर पुलिस की तैनाती रहती है। जजों को विशेष सुरक्षा गाड़ी भी दी जाती है।


कोर्ट रूम में प्रवेश के नियम

कोर्ट रूम में प्रवेश: कोर्ट रूम में प्रवेश के लिए पास की अनिवार्यता नहीं होती, लेकिन न्यायाधीश का पूर्ण अधिकार होता है। सुनवाई के दौरान जज किसी को भी कोर्ट से बाहर निकाल सकते हैं। मोबाइल फोन का उपयोग सख्ती से वर्जित है।


बम धमकी का असर

दिल्ली हाई कोर्ट को मिली बम धमकी ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हमारी संवेदनशील संस्थाएं पर्याप्त सुरक्षित हैं? हालांकि इस बार की प्रतिक्रिया तेज रही और परिसर को तुरंत खाली कराकर जांच शुरू की गई, लेकिन यह घटना भविष्य की सुरक्षा रणनीतियों पर गंभीर सवाल खड़े करती है।