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दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला: एक्स्ट्रामैरिटल अफेयर को अपराध नहीं माना गया

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि एक्स्ट्रामैरिटल अफेयर को अपराध नहीं माना जा सकता है। यह एक वैवाहिक मुद्दा है, जो तलाक या विवादों में आधार बन सकता है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि पति या पत्नी अपने साथी के प्रेमी के खिलाफ मुकदमा कर सकते हैं और आर्थिक मुआवजे की मांग कर सकते हैं। जानें इस फैसले के पीछे की पूरी कहानी और इसके संभावित प्रभाव।
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दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला: एक्स्ट्रामैरिटल अफेयर को अपराध नहीं माना गया

दिल्ली हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

नई दिल्ली - दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज यह स्पष्ट किया कि एक्स्ट्रामैरिटल अफेयर को अपराध नहीं माना जा सकता है, बल्कि यह एक वैवाहिक मुद्दा है जो तलाक या वैवाहिक विवादों में आधार बन सकता है। अदालत ने यह भी कहा कि व्यभिचार को अपराधमुक्त करने का अर्थ यह नहीं है कि तीसरे पक्ष को किसी भी सिविल परिणामों से छूट मिल जाएगी। एक मामले में, पत्नी ने अपने पति की प्रेमिका पर आरोप लगाते हुए एक करोड़ रुपये का हर्जाना मांगा है।


जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव ने कहा कि किसी भी पति या पत्नी को अपने साथी के प्रेमी के खिलाफ मुकदमा करने का अधिकार है, और वे अपनी शादी को तोड़ने या आपसी प्रेम को नुकसान पहुंचाने के लिए आर्थिक मुआवजे की मांग कर सकते हैं। यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं।