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दिल्ली हाईकोर्ट ने अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की कब्रें हटाने की याचिका खारिज की

दिल्ली उच्च न्यायालय ने संसद हमले के दोषी अफजल गुरु और JKLF के संस्थापक मकबूल भट्ट की कब्रों को तिहाड़ जेल परिसर से हटाने की याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने इसे एक संवेदनशील मामला बताते हुए कहा कि सरकार द्वारा लिया गया निर्णय अब पुनः नहीं खोला जा सकता। सुनवाई के दौरान, अदालत ने स्पष्ट किया कि कब्रों को दफनाने का निर्णय उस समय की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए लिया गया था। जानें इस महत्वपूर्ण निर्णय के पीछे की वजहें और अदालत की टिप्पणियाँ।
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दिल्ली हाईकोर्ट ने अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की कब्रें हटाने की याचिका खारिज की

दिल्ली हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने संसद हमले के दोषी मोहम्मद अफजल गुरु और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के संस्थापक मोहम्मद मकबूल भट्ट की कब्रों को तिहाड़ जेल परिसर से हटाने की याचिका को अस्वीकार कर दिया है। अदालत ने इसे एक “अत्यंत संवेदनशील मामला” बताते हुए कहा कि सरकार द्वारा एक दशक से अधिक समय पहले लिया गया निर्णय अब पुनः नहीं खोला जा सकता।


बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान, अदालत ने स्पष्ट किया कि फांसी के बाद शव को जेल परिसर में दफनाने का निर्णय उस समय की परिस्थितियों और संभावित परिणामों को ध्यान में रखते हुए लिया गया था। कोर्ट ने कहा, “वहां कब्र 12 वर्षों से है। यह सरकार का एक नीतिगत निर्णय था। अब इसे बदलने का कोई सवाल नहीं है।”


अदालत ने यह भी कहा कि इस प्रकार के मामलों में निर्णय लेने का अधिकार केवल सक्षम प्राधिकारी (सरकार) के पास है। कोर्ट ने सवाल उठाया, “क्या सरकार ने यह फ़ैसला परिवार को शव देने या तिहाड़ जेल के बाहर दफनाने की अनुमति देने के परिणामों को ध्यान में रखते हुए लिया था? ये बहुत संवेदनशील मुद्दे हैं। सरकार ने सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद ही यह निर्णय लिया होगा। क्या अब हम 12 साल बाद उस निर्णय को चुनौती दे सकते हैं?”


कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक कोई ऐसा कानून नहीं है जो जेल परिसर में दफनाने या अंतिम संस्कार करने से रोकता हो, तब तक अदालत का इसमें हस्तक्षेप करना उचित नहीं है।


आपको बता दें कि 2001 के संसद हमले में दोषी ठहराए जाने के बाद मोहम्मद अफजल गुरु को 2013 में तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी। वहीं, JKLF के संस्थापक मकबूल भट्ट को भी वहीं फांसी दी गई थी। दोनों के शवों को जेल परिसर के अंदर ही दफनाया गया था।